>हमारे जल, जंगल और जमीं पर किये गये क़ब्ज़े की क्षतिपूर्ति दी जाय।



>क्षतिपूर्ति के रूप में परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जाय
>बिजली और पानी निशुल्क दिया जाय।
>हर महीने एक रसोई गैस सिलेंडर निशुल्क दिया जाय
>शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क हो।
>चिकित्सा भी पूरी तरह से निशुल्क हो।


हालात-ए-शहर ( संवाददाता अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज हरिद्वार में वनाधिकार आन्दोलन के साथियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि अब विधान सभा चुनाव उत्तराखंड की देहरी पर खड़े हैं। राजनैतिक दल अपने-अपने एजेण्डे लेकर आ रहे हैं, “मुफ़्त” की बात कर रहे हैं।



उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंडी स्वाभिमानी, मेहनती, ईमानदार और मानवतावादी हैं।मुफ़्तखोरी उनके जींस में नहीं है, जो लोग मुफ़्त बिजली-पानी की बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं, वे उत्तराखंडियों का अपमान कर रहे हैं।
उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन वनों पर उत्तराखंडियों के पुश्तैनी हक़-हक़ूक़ों और अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहा है। हमारी 91% भूमि पर हमारा अधिकार नहीं है, हमारे पानी पर हमारा अधिकार नहीं है।वनाधिकार आन्दोलन जल, जंगल, जमीं पर हक़ों की लड़ाई लड़ रहा है। उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन सभी राजनैतिक दलों से निवेदन कर रहा है और करेगा

जंगली जानवरों से जन हानि पर ₹25लाख क्षतिपूर्ति और परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय।
फसल के नुक़सान पर ₹5000/- प्रति नाली मुआवज़ा दिया जाय।अविलम्ब सम्पूर्ण जमीं का भू-क़ानून बनाया जाय।अविलम्ब चकबंदी की जाय।
जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदायों का अधिकार हो।


उपाध्याय ने कहा कि आज Climate Change जीवन-मरण का मसला बन गया है।
उत्तराखंड जलवायु परिवर्तन को रोकने में Catalyst की भूमिका निभा रहा है, लेकिन उसके योगदान की उपेक्षा की जा रही है।
अगला चुनाव वनाधिकार के मुद्दों पर होगा

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