सरकार की निष्क्रियता के चलते मलिन बस्ती वाले अधिकार से वंचित-कांग्रेस

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उत्तराखण्ड मलिन बस्तियों के समाधान में विफल सरकार का 2024 तक अतिक्रमण नही हटाने का चुनावी झुनझुना

हालात-ए-शहर( संवाददाता अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | कांग्रेस ने भाजपा सरकार द्वारा मलिन बस्तियों को नहीं हटाने संबंधी निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस पार्टी का साफ कहना है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर अधिनियम पारित किया था। जिस पर वर्तमान भाजपा सरकार ने आज तक कोई काम नहीं किया। अब वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश की 584 अवैध मलिन बस्तियों को 2024 तक नहीं हटाने की बात कहते हुए गुमराह कर रहे हैं।

मंगलवार को कांग्रेस कैंप कार्यालय में एआईसीसी की उत्तराखंड चुनाव मीडिया प्रभारी जरिता लैतफलांग और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता तथा कुमाऊं मीडिया प्रभारी दीपक बल्यूटिया ने पत्रकार वार्ता करते हुए मलिन बस्तियों को लेकर भाजपा सरकार को घेरा। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दीपक बल्यूटिया ने कहा कि उत्तराखण्ड नगर निकायों एवं प्राधिकरण हेतु विशेष प्राविधान अधिनियम की धारा 4(1) के तहत इस अधिनियम के लागू होने के 03 वर्ष के भीतर मलिनबस्तियों का समाधान करना था

मगर नीद में सोई सरकार ने जब देखा समय सीमा 17 अक्टूबर 2021 को समाप्त हो रही और सरकार कुछ भी नही किया। घबराई सरकार। ने भ्रमित करने के लिए 03 साल का समय बढ़ाकर नगरीय विकास का काम अवरुद्ध करने का काम किया। दीपक बल्यूटिया ने बताया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितिकरण, पुर्नवासन, पुनर व्यवस्थापन एवं अतिक्रमण निषेध अधिनियम, 2016 लाया गया था।

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अधिनियम का उद्देश्य नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितिकरण, पुनर्वासन एवं पुनर व्यवस्थापन था। तत्पश्चात 30 दिसम्बर 2016 को कांग्रेस सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन, पुनर व्यवस्थापन तथा उससे संबंधित व्यवस्थाओं एवं अतिक्रमण निषेध नियमावली 2016 बनाई गई। नियमवाली में नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों को नियम 3 द्वारा गठित समिति के अनुसार 3 श्रेणीयों में बाँटा जाना था।

दीपक ने कहा कि प्रथम श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का वर्गीकरण करना था जिनमें भू-स्वामित्व के अधिकार प्रदान किये जा सके। दूसरी श्रेणी की मलिन बस्तियों में आंशिक भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान किये जा सके। तृतीय श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण होना था जिनका पुर्नवास/पुर्नव्यस्थापन किसी वैकल्पिक स्थान पर किया जा सके। 27 जुलाई 2018 को भाजपा सरकार द्वारा पूर्व के अधिनियम को निरस्त कर अध्यादेश लाया गया तथा तत्पश्चात् 16 अक्टूबर 2018 को महामहिम राज्यपाल द्वारा विधानसभा में पारित उत्तराखण्ड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्राविधान विधेयक 2018 पर अनुमति प्रदान की गई तथा 17 अक्टूबर 2018 को जिसकी अधिसूचना जारी की गई।

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नवीन विधेयक की धारा 4 (1) में प्रवत होने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर राज्य सरकार मलिन बस्तियों एवं झुग्गी झोपडि़यों आदि के रूप में हुए अनाधिकृत निमार्ण एवं अतिक्रमण जैसी समस्याओं के समाधान हेतु सभी सम्भव प्रयास करेगी। उक्त अधिनियम के प्रख्यापन के पश्चात् आज तक किसी नियमावाली का प्रख्यापन नहीं किया गया। तथा कांग्रेस सरकार द्वारा 2016 में बनाई गई नियमावली पर भी आगे कोई कार्य नहीं किया गया। जबकि मलिन बस्ती क्षेत्रों में निवासरत परिवारों को सूचीबद्ध कर उन्हें पंजीकरण व पहचान पत्र जारी किये जाने थे। राज्य में कुल 584 मलिन बस्तियों को चिन्हित किया गया

जिसमें से 102 बस्तियों को श्रेणी 1 में चिन्हित किया गया लेकिन उन्हें भी आज तक नियमित नही किया गया। हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र के श्रेणी 1 में अम्बेडकर नगर, गाँधी नगर, गुसाई नगर, कुल्यालपुरा, वैलीजली लाॅज, देवलढॅूगा काठगोदाम, बाराछप्पर/हीरानगर, मुनगली गार्डन, इन्दिरा नगर पश्चिम-ए, नई बस्ती काठगोदाम-ए, जवाहर नगर-ए, राजेन्द्र नगर-ए, बद्रीपुरा काठगोदाम-ए, तथा नगर निगम क्षेत्र की श्रेणी 3 में चिराग अली साह, ढोलक/गफूर बस्ती, इन्दिरा नगर पश्चिम-बी, इन्दिरा नगर पूर्वी, जवाहर नगर-बी, नई बस्ती काठगोदाम-बी, राजेन्द्र नगर-बी, बद्रीपुरा काठगोदाम-सी शामिल हैं। अथार्त अब इन क्षेत्रों का नियमितिकरण वर्तमान भाजपा सरकार नहीं कराना चाहती है। इसीलिए सरकार द्वारा विगत तीन वर्षो में इनके पुनर्वास एवं पुनर व्यवस्थापन पर कोई कार्य नहीं किया गया। गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, एवं बनभूलपुरा के लोगों को रेलवे द्वारा जगह खाली करने का नोटिस दिये जाने पर भी ना तो निगम न ही सरकार द्वारा इनकी सुध ली गई। चुनावी वर्ष देखकर भाजपा सरकार द्वारा पुनः इस अवधि के समाप्त होने से एक माह पूर्व इसे फिर तीन वर्षो के लिए बढ़ा दिया गया है जो सरकार की अकर्मण्यता का घोतक है। उत्तराखंड कांग्रेस पब्लिसिटी कमेटी अध्यक्ष सुमित हृदयेश के अध्यक्ष सुमित ह्रदयेश ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी की ओर से मलिन बस्तियों को लेकर की गई घोषणा से जनता में निराशा है। पत्रकार वार्ता में नैनीताल जिला मीडिया कोऑर्डिनेटर गोविंद बिष्ट, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, महानगर अध्यक्ष राहुल छिमवाल भी मौजूद रहे।

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