हड़ताल के चलते सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की व्यवस्थाएं ध्वस्त

हड़ताल के चलते सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की व्यवस्थाएं ध्वस्त
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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | विगत पिछले 51 दिनों से निरंतर अपनी मांगों को लेकर सुशीला तिवारी राजकीय राजकीय चिकित्सालय का नर्सिंग स्टाफ एवं उपनल कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर हड़ताल में लामबंद है | इसके बावजूद भी सरकार उनकी मांगों को कर रही है अनदेखा ,इसी मामले को लेकर हेमा आर्य का कहना है कि सरकार ने हमको कहीं का नहीं छोड़ा वही उनकी नाराजगी सुशीला तिवारी हॉस्पिटल के मैनेजमेंट एवं शहर की जनता से भी जताई हेमा का कहना है कि 2020 के कोविड-19 में जिस जनता के लिए हमने अपना घर बार छोड़ दिन रात सेवा की विगत पिछले लगभग 15 साल से ऊपर के समय से हम लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं

लेकिन केवल 7000 रुपया महीना मेहनताना सरकार दे रही है अधिकतम जो मानदेय है ₹12000 दिया जा रहा है वही हेमा का कहना है कि अस्पताल परिसर में जो पर्यावरण मित्र हैं उनको ₹400 प्रतिदिन मेहनताना नहीं दिया जाता है लेकिन वहीं दूसरी ओर गौला से मजदूर बुलाए जाते हैं जिनको ₹500 प्रतिदिन मेहनताना देकर कार्य कराया जा रहा है ,जो व्यक्ति पिछले विगत कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहा है उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और मजदूर बुलाकर कार्य कराया जा रहा है यह हमारे पर्यावरण मित्रों का उत्पीड़न है
हेमा का कहना है कि आज अंदर की व्यवस्था इतनी ध्वस्त हो चुकी हैं जगह-जगह गंदगी होने से मरीज परेशान है लेकिन अस्पताल प्रशासन ऐसी बदहाल व्यवस्थाओं को नहीं दिखा रहा है वही प्रतिदिन हजारों मरीज आते हैं जिनकी जांचे नहीं हो रही हैं  इलाज बेहतर नहीं हो पा रहा है वही आज प्रदेश में आपदा में घायल व्यक्तियों को इलाज की सख्त आवश्यकता है इसको लेकर हेमा ने कहा यदि सरकार को आपदा का इतना ही ख्याल है तो हमारी मांगे पूरी क्यों नहीं हो रही हैं

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हम पिछले 51 दिनों से निरंतर बुद्ध पार्क में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं ( हम अपना हक मांगते हैं कोई भीख नहीं ) वही उनका कहना है कि कोविड काल में हम मानवता निभाते हुए निरंतर अपनी सेवाएं देते रहे हम आज भी आपदा के वक्त पीछे नहीं हैं यह हमारा कर्तव्य है हमको हर बार मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है परंतु सरकार जनता की मानवता कहां है आज हम और हमारे साथी 51 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं अस्पताल मैनेजमेंट के द्वारा हमसे 20 कर्मचारी मांगे गए थे वही हमारे द्वारा कहा गया कि हम अपनी सेवाएं देने को तत्पर हैं लेकिन आप गोला से मजदूर बुलाकर हमारा शोषण ना करें यदि हम को ही उचित मेहनताना मिले हम हड़ताल क्यों करेंगे वहीं वर्तमान में प्रदेश के मुखिया द्वारा जो 2000 एवं ₹3000 मानदेय बढ़ाया गया है उसको लेकर बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है यह मानदेय केवल आपस में फूट डलवाने का कार्य किया गया है जूनियर और सीनियर में हम लोगों को बांट दिया है जब कर्मचारियों के द्वारा नाराजगी जाहिर की गई बढ़ाई गए मानदेय को प्रोत्साहन राशि में तब्दील कर दिया गया वही उनसे पूछा गया कि त्योहार नजदीक है आगे रणनीति क्या होगी उनका कहना है कि हमारा कोई भी त्यौहार होली रमजान दिवाली पिछले वर्ष भी यह सब हड़ताल में ही बैठे रहे हम इस वर्ष भी त्योहारों के मौके पर अपनी मांगों को लेकर बुद्ध पार्क में बैठने के लिए बाध्य होना पड़ा है सरकार हमारी मांगों का समाधान नहीं निकाल रही परंतु निरंतर वार्ताएं की जा रही हैं जिससे हम सन्तुष्ट नही है

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एम एस अरुण जोशी
का कहना है कि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में लगभग 800 मरीज भर्ती रहते हैं लगभग हजार से ज्यादा मरीजों की ओपीडी रहती है आपदा का वक्त है यह लोग हड़ताल पर हैं जोशी के द्वारा बताया हड़ताल पर गए कर्मचारियों से निरंतर अपील भी की जा रही है की आपदा का समय है वही जोशी के द्वारा बताया गया कि ओटी में जो कूड़ा एकत्रित होता है हॉस्पिटल में शौचालय हैं एवं अन्य ऐसे स्थान हैं जहां मरीज भर्ती हो जाते हैं वहां गंदगी भी होती है जब आप लोगों को ही गंदगी पसंद नहीं है तो मरीज गंदगी में कैसे रहेगा इसके समाधान के  शासन प्रशासन के द्वारा केवल 35 व्यक्ति बुलाए गए हैं जो की साफ सफाई का ही कार्य करते हैं ,वही जोशी का कहना है कि हॉस्पिटल ना ही हमारा है ना ही आपका है यह हॉस्पिटल हम सभी का है और बेहतर व्यवस्था रखना हम सभी का कर्तव्य है कर्मचारियों के हड़ताल को लेकर जोशी का कहना है कि इसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है यह मामला सरकार और शासन का है उन्हीं के द्वारा बाहर से व्यक्तियों को बुलाकर अस्पताल में साफ सफाई व्यवस्था दुरुस्त करवाई जा रही है जोशी के द्वारा बताया गया है कि केवल 35 व्यक्तियों को ही बुलाया गया है और 35 ही व्यक्ति कार्यरत है अगर वह चाहे हॉस्पिटल पहुंचकर देख सकते हैं जोशी के द्वारा बताया गया कि हड़ताल के कारण अस्पताल के कार्यालय में कोई कार्य नहीं हो पाने के कारण कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं बन पा रही हैं अरुण जोशी का कहना है कि यदि इनका ऐसा ही रवैया रहा मजबूरन अस्पताल बंद करना पड़ेगा क्योंकि अस्पताल में मरीजों की देखभाल व् बेहतर स्वास्थ सेवाएं देना महत्वपूर्ण है

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