80 वर्षो से देश की राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टिया नहीं बना सकी एक पुल ग्रामीण करेंगे 2022 विधानसभा चुनावो का वहिष्कार

80 वर्षो से देश की राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टिया नहीं बना सकी एक पुल ग्रामीण करेंगे 2022 विधानसभा चुनावो का वहिष्कार
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हालात-ए-शहर ( अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | उत्तराखंड राज्य के जिला नैनीताल में लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में गौलापार स्थित एक गांव ऐसा भी है| जिस गांव के ग्राम वासियों के लिए जिंदगी मानसून में विषम परिस्थितियों में जीना एक बड़ी चुनौती  हैं,आज हमारे द्वारा गौलापार हिम्मतपुर नकेल गांव की एक अहम समस्या के बारे में जानकारी हासिल करने गांव पहुंचे हमारे द्वारा एक बुज़ुर्ग एवं ग्राम प्रधान से जो भी जानकारी मिली सुन कर सोचने को मज़बूर हो गए कि हमारे देश के राजनेता विकास की बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन ज़मीनी हकीकत आज देखने को मिली

हिम्मतपुर नकेल गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति बीसी भट्ट द्वारा बताया गया कि पिछले 80 वर्षों से अपने गांव में एक पुल की मांग को लेकर लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं बीसी भट्ट के द्वारा बताया गया कि बड़े-बड़े नेता यहां पर आते हैं वायदे करके चले जाते हैं लेकिन धरातल पर कोई भी कार्य नहीं होते हैं जिसके कारण ग्राम वासियों में खासा रोष व्याप्त है एवं सभी ग्राम वासियों ने 2022 के विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की एक स्वर में मांग उठाई है उनके द्वारा बताया गया कि विगत कई वर्षों से लगातार धरने प्रदर्शन किए जा रहे हैं लेकिन राजनेताओं पर इसका कोई भी असर दिखाई नहीं दे रहा है जबकि वन क्षेत्र की भूमि अधिकृत कर ली गई है पर्यावरण से भी मंजूरी मिल गई है उनका कहना है कि इसके बावजूद भी  सरकारें एक पुल नहीं बना सकती तो यह ग्राम वासियों का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है

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वही बीसी भट्ट के द्वारा बताया गया कि आजादी के बाद से आज तक जो भी सरकारे रही हैं  सभी सरकारों की नाकामी साफ झलकती है चुनावों में सत्ता पाने के लिए वोट मांगने सभी आते हैं लेकिन ग्राम वासियों की मूलभूत सुविधाओं के लिए किसी भी पार्टी का कोई भी शीर्ष नेता पहल नहीं करता है वही बीसी भट्ट के द्वारा बताया कि वर्ष 2013 में कांग्रेस पार्टी के निवर्तमान मुख्यमंत्री बहुगुणा के द्वारा शिलान्यास का उद्घाटन में किया गया था और आज 2022 विधानसभा नजदीक है इसके बावजूद भी अभी तक पुल के निर्माण के लिए एक भी पत्थर नहीं लगाया गया है इसी आक्रोश में समस्त ग्राम वासियों ने 2022 चुनावों का बहिष्कार करने का मन बना लिया है उनका कहना है कि आजादी के बाद से आज तक कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी का शासन रहा इसके बावजूद भी किसी ने भी एक छोटी सी पहल पुल बनाने की नहीं की

वही जब ग्राम प्रधान तनुजा पांडे के द्वारा बताया गया कि हमारे  गांव में सबसे बड़ी समस्या जो है, वह एक पुल की मांग को लेकर है ग्राम प्रधान का कहना है कि मानसून प्रारंभ होते ही ग्राम वासियो का शहर आवागमन पूर्णता थम जाता है वही ग्राम प्रधान तनुजा पांडे के द्वारा बताया गया कि मानसून प्रारंभ होते ही बच्चे शिक्षण संस्थान भी नहीं जा सकते हैं ,ग्राम प्रधान का कहना है , कि 2013 वर्ष में इस पुल का उद्घाटन किया गया था सरकारे बदली लेकिन इस गांव का भाग्य आज तक नहीं बदला उनके द्वारा बताया गया कि हमारे ग्राम सभा मैं पांच गांव आते हैं लक्ष्मपुर, हिम्मतपुर नकेल ,तारा नाबार्ड ,कैनाल रोड ,ग्राम प्रधान के द्वारा बताया गया कि बाकी गांव नदी के दूसरे छोर पर हैं हमारा गांव हिम्मतपुर नकेल नदी के इस पार है

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ग्राम प्रधान तनुजा पांडे के द्वारा बताया गया है कि मानसून के दौरान नदी में इतना पानी का बहाव तेज होता है ,कि कोई भी व्यक्ति अपनी जान जोखिम में नहीं डालता है एवं हमारे गांव का अन्य क्षेत्र से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है , वही हमारे द्वारा जानकारी हासिल की गई कि जैसे इस वक्त कोरोना काल चल रहा है यदि ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति संक्रमित होकर बीमार हो जाता है तो शासन प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्या सुविधा दी जाती है इस पर ग्राम प्रधान ने बताया कि हमारे लिए जीरो सुविधा है ग्राम वासियों के लिए भी यह भी बताया गया कि बीमार व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में गांव में ही रहता है कई बार बीमार व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाएं ना मिलने के कारण घर पर ही दम तोड़ देता है यह एक बहुत बड़ी विडंबना है

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बिना देवी आज हमारे देश में विकास की बड़ी-बड़ी बातें सभी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा की जाती है लेकिन उत्तराखंड राज्य के जिला नैनीताल में एक गांव ऐसा भी है हिम्मतपुर नकेल जहां आजादी के बाद से आज तक ग्राम वासियों को कोई भी सरकारी एक पुल भी बनाकर ना दे सके

वही एक युवा आशीष से बात की युवा का कहना है कि एक राष्ट्रीय पार्टी का कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा गांव को पंचायती राज का दर्जा दिया गया था ग्रामीण क्षेत्रों को क्या यही सुविधा दी है पंचायती राज्य घोषणा के बाद जहां आज भी 1 गांव बरसातों में देश के अन्य भागों से पूरी तरह अलग-थलग हो जाता है वही बात की जाए तो बहुत ही शर्म की बात है बड़ी-बड़ी पार्टियों के दिग्गज शीर्ष नेता चुनाव शुरू होते ही बड़ी बड़ी घोषणा करते हैं बड़े-बड़े वायदे करते हैं अपने वोटरों से लेकिन जमीनी हकीकत आज हमको दिखाई दी पश्चिम नकेल ग्राम सभा में जहां बताया गया कि आजादी से लेकर आज तक कोई भी सरकार ग्राम वासियों को आवागमन के लिए नदी पर एक फूल की सुविधा भी नहीं दे पाई

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