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हल्द्वानी,,,,,,,,,,,,प्रदेश की सत्तासीन सरकार स्वास्थ क्षेत्र में बड़े बड़े होर्डिंग पोस्टरों \ बैनरो अपनी उपलब्धियो के ढोल पीटती नज़र आ रही है वही प्रदेश के मुख्यमंत्री एवम स्वास्थ मंत्री मंचो से आये दिन प्रदेश की जनता के लिए बेहतर स्वास्थ लाभ देने के वायदे कर अपनी पीठ थपथपाते नज़र आ रही है,,,,,,,
यदि बात की जाये तो वही इन सबके बीच प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं बद से बत्तर नज़र आ रही है जिसका जीता जागता उदाहरण है अल्मोड़ा ज़िले का मेडिकल कॉलेज संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण सिजेरियन ऑपरेशन पूरी तरह बंद हैं जिला महिला चिकित्सालय में पुनर्निर्माण कार्य के चलते गर्भवती महिलाओं को मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है, परंतु मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं की कमी और डॉक्टरों के अभाव के चलते मरीजों को सीधे हल्द्वानी रेफर कर दिया जाता है। सबसे अहम सवाल यह है कि जिन गर्भवती महिलाओं को अल्मोड़ा में “गंभीर” बताकर हल्द्वानी रेफर किया जाता है, वहीं हल्द्वानी में उनका सामान्य प्रसव आसानी से संभव होती है हल्द्वानी में भी कभी नेओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट फुल होने का बहाना बनाया जाता है। कभी पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में जगह न होने की बात कहकर मरीजों को हल्द्वानी भेज दिया जाता है। इससे स्वास्थ विभाग की लापरवाही के साथ साथ सिस्टम की नाकामी और पहाड़ के लोगों के साथ धोखा उजागर होता है,,,,,,,,,
सीधे तौर पर बात की जाये तो वर्तमान सरकार ने पहाड़ की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सुविधाएं देने के उद्देश्य से स्थापित अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज अब अपने मूल उद्देश्य से दिशा हीन हो गया है,,,,,,,,
यदि बात की जाये तो प्रदेश की मौजूदा सरकार साल दर साल राज्य में नए नए मेडिकल कॉलेज खोलने की निरंतर बड़ी बड़ी घोषणाएं करने में लगी हुई है , परंतु प्रदेश में पूर्व के बने मेडिकल कॉलेज खस्ता हालातो में नज़र आ रहे है,,,,,,
सबसे बड़ी विडंबना है कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट सहित कई विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी आभाव है वही शहर के जनप्रतिनिधि सिर्फ और सिर्फ ज्ञापन दे इतिश्री कर लेते है परंतु जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को सदन में नहीं उठाते नहीं दिखाई देते,,,,,,,,

मात्र बड़ी इमारत बना सरकार जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना अपना उद्देश्य मान रही है परंतु केवल इमारत बनाना समस्या का संपूर्ण समाधान नहीं ज़िले की जनता की मांग है कि मेडिकल कॉलेज में तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति हो। गर्भवती महिलाओं के लिए सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा बहाल की जाए।
रेडियोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन की तैनाती अनिवार्य की जाए,सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं हैं, तो सरकार नए मेडिकल कॉलेजों की निरंतर घोषणाएं कर अपनी पीठ थपथपाने में क्यों लगी है,,,,,,,
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