HSN * संवाददाता अतुल अग्रवाल > 9927753077 < हल्द्वानी



हल्द्वानी | नगर निगम चुनावी कुरुछेत्र में नया मोड़ लोकप्रिय चेहरों को लगा झटका बदलेंगे सियासी समीकरण यदि बात की जाये तो हल्द्वानी में महापौर के पद के लिए सबसे प्रमुख दावेदारों में से कई ओबीसी श्रेणी के नहीं हैं, और अब उन्हें इस आरक्षण के कारण अपने दावों से पीछे हटना पड़ सकता है इस बदलाव से यह भी साफ हो गया है कि दोनों दलों को अब ओबीसी समुदाय से ऐसे नेता की तलाश करनी होगी, जो इस आरक्षित पद के लिए उपयुक्त हो। हालांकि, यह आरक्षण अभी अंतिम नहीं है। राज्य सरकार ने इस अधिसूचना के खिलाफ आपत्तियां भी आमंत्रित की हैं, और इस पर अंतिम निर्णय आने तक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं होगी।
पार्टी जिसको भी टिकिट देगी मेयर की सीट भाजपा की ही होगी हम पार्टी के साथ थे हैं और रहेंगे-सुमित्रा

देखना होगा कि क्या यह सीट सामान्य श्रेणी में बदलती है या ओबीसी के लिए आरक्षित रहती है।
यह कदम राज्य सरकार की ओर से निकाय चुनावों में समान प्रतिनिधित्व देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन इस बदलाव ने हल्द्वानी की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों के भीतर महापौर पद के लिए दावेदारों की सूची में बदलाव की संभावना है। इन दोनों दलों के प्रमुख नेताओं की नजर इस पद पर रही है, लेकिन अब इस आरक्षण के कारण उनके राजनीतिक सपनों को बड़ा धक्का लग सकता है आपत्तियों के बाद यह सीट सामान्य हो सकती है या फिर ओबीसी के लिए बनी रह सकती है। इस अनिश्चितता के बीच, हल्द्वानी में महापौर पद के दावेदारों को आने वाले दिनों में असमंजस का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस आरक्षण के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। अब तक इन दलों के ओबीसी दावेदारों की संख्या नगण्य थी, जिससे पार्टी नेताओं को नए चेहरों पर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
दोनों दलों के पास सामान्य श्रेणी में मजबूत और लोकप्रिय चेहरे थे, लेकिन ओबीसी वर्ग से उपयुक्त चेहरे सामने लाने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।


चुनावो की लिस्ट जारी होते ही आगामी निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, और इस बीच राज्य सरकार ने आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। विशेष रूप से हल्द्वानी, जो देहरादून के बाद राज्य की प्रमुख नगरपालिकाओं में से एक है, वहां महापौर पद को इस बार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
यदि बात की जाए तो हल्द्वानी नगर निगम में महापौर पद को ओबीसी के लिए आरक्षित किया जाना नगर निगम के इतिहास में पहली बार हुआ है। इससे पहले यह सीट सामान्य श्रेणी में थी, लेकिन अब यह बदलाव राजनीति में एक बड़ा उलटफेर कर सकता है। इस आरक्षण के कारण हल्द्वानी की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखने वाले कई प्रमुख नेता और दावेदार अब अपनी उम्मीदों को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

इस बदलाव के परिणामस्वरूप, दोनों प्रमुख दलों को ओबीसी वर्ग से एक सशक्त और चुनावी दृष्टिकोण से मजबूत प्रत्याशी तलाशने की चुनौती होगी। यदि यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित बनी रहती है, तो पार्टियों को अपने प्रत्याशी चयन और रणनीति पर गंभीरता से विचार करना होगा। हल्द्वानी के चुनावी दंगल में एक नई दिशा की संभावना है,,,,,,,,,,,
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