संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |
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हज़ारो परिवारों के समक्ष गहरी चिंता है कि हम अपने परिवार को लेकर जाये तो जाये कहा , वही हज़ारो परिवारों ने सरकार से पुनर्वास की गुहार लगाई
हल्द्वानी | में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला वर्ष में ( 2007 ) से गर्माया जिसको लेकर रेलवे के द्वारा शासन प्रशासन एवं भारी पुलिस बल को साथ ले रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को अंजाम भी दिया गया | स्व0 पंडित दीनदयाल उपाध्याय मलिन बस्ती नियमितीकरण व पुनर्वास योजना के लाभ से वंचित रहने के पीछे पूर्व पार्षद के द्वारा क्रय विक्रय का खुलासा किया गया , सूत्रों के मुताबिक रेलवे की भूमि पर – 100 रूपये के स्टाम्प पर हुए अरबों खरबों के लेनदेन को माना जा रहा है मलिन बस्ती में शामिल करने वह पुनः उसे हटाने को लेकर चाह कर भी कोई बड़ा नेता सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर नहीं कर पा रहा है अरबों खरबों रुपए के लेनदेन को मलिन बस्ती से हटाने का आधार माना जा रहा है
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अपने ही शासनादेश के अनुसार पहले पुनर्वास करवाने तक रेलवे अतिक्रमण का मामला पुनः लंबित हो जाता अरबों खरबों के हुए लेनदेन के खुलासे से रेलवे की पांच मलिन बस्तियों को हटाने का बना सूत्रधार जब बस्तियों में अरबों खरबों का हुआ लेनदेन तो इस भूमि को मलिन किस आधार पर रखा गया , विभाग को भी मलीन से हटाने का मिला आधार नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य स्थानीय विधायक सुमित हृदेश मलिन बस्ती अध्यादेश की महत्व को जानते हुए जोर शोर से प्रकरण को उठाया
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परंतु पूर्व में हुए रेलवे भूमि के खुलासे अरबों खरबों के लेनदेन के कारण मलिन की श्रेणी मैं राजनीतिक व न्यायालय मैं दांव पेच लगाने में असमर्थ रहे पांचो मलिन बस्ती के अपने ही शासनादेश में अतिक्रमणकारियों को पुनर्वास के आदेश में पुनः फंस जाता रेलवे अतिक्रमण का सर्वाधिक चर्चित मामला जिस जगह की रेलवे की भूमि में हुआ उस भूमि में अरबों खरबों का लेनदेन हुआ है तो वह भूमि मलिन कैसे राहत मिलने की उम्मीद से सुप्रीम कोर्ट जाने से भी कतरा रहे हैं एवम विभाग को भी मलिन से हटाने का आधार मिल गया है
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हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला वर्ष में ( 2007 ) से गर्माया जिसको लेकर रेलवे के द्वारा शासन प्रशासन एवं भारी पुलिस बल को साथ ले रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को अंजाम भी दिया गया | रेलवे की भूमि से सटे ढोलक बस्ती अतिक्रमण मुक्त भी किया गया , परन्तु राजनैतिक दवाब के चलते रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को विराम देना पड़ा , वही वर्ष 2012 -2017 में
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ठीक चुनावो से पूर्ण रेलवे अतिक्रमण चुनावी मुद्दा बनकर उभरा , वर्ष 2017 में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ SC से स्टे भी लाया गया , जिससे हज़ारो परिवारों को मिली राहत ,
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वही बात की जाये जैसे ही 2022 के विधानसभा चुनावो ने दस्तक दी रेलवे अतिक्रमण का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया , रेलवे द्वारा नोटिस चस्पा की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई , इसी दौरान एक व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत तौर पर माननीय उच्चन्यायलय हाईकोर्ट से स्टे ले कर आये , जिसके पश्चात हज़ारो लोगो को एक आस जगी की हमारे आशियाने नहीं हटाए जायेंगे , परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ आज हज़ारो आशियानों पर रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की तलवार लटकी है , जिसके चलते हज़ारो परिवारों के समक्ष गहरी चिंता है कि हम अपने परिवार को लेकर जाये तो जाये कहा , वही हज़ारो परिवारों ने सरकार से पुनर्वास की गुहार लगाई , परन्तु सूत्रों जानकारी से ज्ञात हुआ रेलवे की भूमि में अरबों खरबों का हुआ लेनदेन ?
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