एक व्यक्ति के नेत्रदान से चार लोग देख पाएंगे एक कार्निया से दो लोगों में हो सकता है प्रत्यारोपण

एक व्यक्ति के नेत्रदान से चार लोग देख पाएंगे एक कार्निया से दो लोगों में हो सकता है प्रत्यारोपण
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वनभूलपुरा के कई वार्ड में विशेष जागरूकता शिविर में मरणोपरांत नेत्र दान के लिए मौके पर 110 लोगों ने संकल्प फॉर्म भरे

भारत में करीब सवा करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। करीब 25-30 लाख ही दान की गई आंखों से रोशनी पाते हैं

इस मौके पर प्रथम बिष्ट , अरुण चुघ, इरशाद ,आरिफ़ ,SI घई जी आदि मौजूद रहे

संवाददाता अतुल अग्रवाल ”हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |

नेत्रदान अभियान (शहीद भगत सिंह सेवा समिति) के तहत सोमवार को वनभूलपुरा के कई वार्ड में विशेष जागरूकता शिविर लगाया गया। इसमें लोगों को मरणोपरांत नेत्र दान के लिए प्रेरित किया गया। मौके पर 110 लोगों ने संकल्प फॉर्म भरे। इसके अलावा शहीद भगत सिंह समिति एक माह में लोगों की मरणोपरांत नेत्रदान करा चुका है।

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प्रमुख वक्ता शहीद भगत सिंह समिति अरुण चुघ और प्रथम बिष्ट ने लोगों को बताया कि भारत में करीब सवा करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। करीब 25-30 लाख ही दान की गई आंखों से रोशनी पाते हैं। नेत्रदान ही ऐसा पुण्य काम है जिसे आदमी की मौत होने के उपरांत ही निकाला जाता है। शेष अंगदान के लिए दानकर्ता का जीवित होना जरूरी है। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो जरूरतमंद व्यक्ति की आंख में रौशनी लौटाई जा सकती है। मरीजों-तीमारदारों को काला-सफेद मोतिया की निश्शुल्क सर्जरी और दवा, 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को विद्यार्थियों को फ्री चश्मा प्रदान की जानकारी दी।

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अब एक व्यक्ति नेत्रदान (कार्निया) करके चार लोगों की जिंदगी में रोशनी लौटा सकता है।नई तकनीक से एक कार्निया से दो मरीजों में प्रत्यारोपण किया जा रहा है। अब तक नई तकनीक से 38 कार्नियल नेत्रहीन को रोशनी प्रदान की जा चुकी है। अभी तक एक कार्निया एक ही व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता था।
प्रथम बिष्ट और अरुण चूघ जी ने बताया कि कॉर्निया में पांच परतें होती हैं। इनमें इपीथीलियम, बोमेन मैम्बरेन, स्टोरमा, डिसिमेंट मैम्बरेन और इंडोथीलियम परत होती है। जिन मरीजों में अपर लेयर डिजीज होती है उनमें डीप एंटीरियर लैमेलर केरेटोप्लास्टी (डीएएलके) करते हैं और लोअर लेयर डिजीज में डेस्केमेट स्ट्रीपिंग एंडोथेलियल केरटोप्लास्टी (डीएसईके) की जाती है। ऐसे में कार्निया की परत को दो हिस्से में बांट लिया जाता है। कॉर्निया की सबसे भीतरी लेयर इंडोथीलियम होती है। अगर केवल इस लेयर को किसी कारणवश क्षति पहुंचती है, तो पूरी कॉर्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। यह आंखों की जांच के दौरान पता चलता है कि कौन सी परत खराब है।।शहीद भगत सिंह टीम के सदस्य बताया कि देश में लाखों लोग कार्नियल ब्लाइंडनेस के शिकार हैं।