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भाजपा सरकार ने किया राज्य के शहीदों का घोर अपमान – करन मेहरा
आज के बाद गावो में कर्नल साहब मेजर साहब सूबेदार साहब हवलदार साहब देखने को नहीं मिलेंगे – करन मेहरा

राज्य के शहीद परिवारों को मिलने वाली 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि को न देने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाया जोर – करन मेहरा

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | हल्द्वानी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सोमवार को पत्रकार वार्ता कर राज्य की भाजपा सरकार पर देवभूमि उत्तराखंड के अमर जवान शहीदों और उनके परिवारों का घोर अपमान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राज्य के शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिकों के परिवारों को राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि राज्य की भाजपा सरकार के लिए बोझ बन गयी है। यही वजह है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है। इससे राज्य को सैनिक धाम बनाने का ढकोसला कर रही भाजपा सरकार का सैनिकों के प्रति असल चेहरा उजागर हुआ है।


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सोमवार को पॉलिसीट काठगोदाम स्थित कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया के कैंप कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि मार्च 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विभिन्न युद्धों व सीमांत झड़पों तथा आंतरिक सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों व अर्धसैनिक बलों की विधवाओं एवं आश्रितों को एकमुश्त 10 लाख रुपये की अनुग्रह अनुदान राशि अनुमन्य कराए जाने का शासनादेश जारी किया था। यह राशि राज्य सरकार की ओर से पूरे जीवन काल में एक बार दिए जाने को राज्यपाल की ओर से स्वीकृति प्रदान की गई थी। शासनादेश के अनुसार शहीद की वीर नारी को 6 लाख तथा माता-पिता को 4 लाख रुपये दिए जाने का प्रावधान था। माता पिता के जीवित नहीं होने पर पूरी राशि वीर नारी को तथा वीर नारी के जीवित ना होने पर 4 लाख रुपये माता-पिता को तथा 6 लाख रुपये शहीद के बच्चों में बराबर बांटने का प्रावधान है। शहीद के माता-पिता और पत्नी के जीवित न होने पर पूरी राशि बच्चों में बराबर बांटने का प्रावधान है। शहीद के अविवाहित होने पर पूरी राशि माता-पिता को दी जाती है। शासनादेश के लागू होने के बाद सरकार ने सभी जिला सैनिक कल्याण अधिकारियों को वरीयता के आधार पर लाभार्थियों की सूची बनाने के निर्देश भी दिए थे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि लाभार्थी ने राज्य सरकार द्वारा किसी अन्य योजना से इस हेतु पूर्व में कोई सहायता प्राप्त न की हो।
माहरा ने कहा कि इस शासनादेश के लागू होने के बाद राज्य भर में रह रहे शहीदों की वीर नारियों और आश्रितों ने आवेदन करने शुरू कर दिए। 5 मार्च 2014 में शासनादेश लागू होने के बाद से कई शहीदों की वीर नारियों और आश्रितों को सरकार की ओर से यह राशि प्रदान की गई। हैरानी की बात यह है कि इस अनुग्रह अनुदान राशि को पाने के लिए शहीदों की वीर नारियों और आश्रितों की संख्या बढ़ने पर राज्य की भाजपा सरकार ने 5 मार्च 2014 से पहले शहीद हुए राज्य के शहीदों को इसका लाभ देने पर रोक लगा दी।
राज्य में शहीदों को दो श्रेणी में बांटने वाले इस दोहरे मापदंड के खिलाफ कुछ शहीद परिवारों के आश्रितों ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता शहीद परिवारों के आश्रितों को भी इस योजना का लाभ देने के आदेश पारित किए थे। बावजूद इसके सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के बजाय वह इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई।सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई अब दिसंबर में होनी है। इतना ही नहीं प्रदेश की भाजपा सरकार ने
जनवरी 2021 में 5 मार्च 2014 के शासनादेश को ही संशोधित कर दिया। नए अध्यादेश (उत्तराखंड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान अधिनियम 2020) के अनुसार इसे 5 मार्च 2014 अथवा उसके बाद शहीद हुए सैनिकों के लिए लागू कर दिया। अब यदि राज्य की भाजपा सरकार अपने मिशन में सफल हो जाती है तो प्रदेश में 5 मार्च 2014 से पहले शहीद हुए अमर जवान शहीदों के आश्रितों को 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुमन्य अनुग्रह अनुदान राशि से वंचित होना पड़ेगा। जिस कारण राज्य के सैन्य परिवारों और शहीदों के परिवारों में प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश हैं। माहरा ने कहा कि जो सरकार राज्य को सैनिक धाम बनाने का नाटक कर रही है उसका असल चेहरा इससे बेनकाब हुआ है। भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा राज्य के सैनिकों के हित में खड़ी रहेगी। पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया, जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, कार्यकारी जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल, ललित जोशी, हरीश मेहता, हेमंत बगड़वाल, जगमोहन चिलवाल, राजेंद्र बिष्ट, मुकुल बल्यूटिया, महिला नगर अध्यक्ष नीमा भट्ट, शोभा बिष्ट, पुष्पा नेगी, बहादुर बिष्ट, पार्षद रवि जोशी, शकील अंसारी, मोहम्मद तौफीक, विनोद दानी, रोहित कुमार, गोविंद बगड़वाल,
मोहम्मद रेहान, मोहम्मद वसीम अली, शशि वर्मा, रत्ना श्रीवास्तव, विमला सांगुड़ी, सविता गुरुरानी, प्रमोद कोटलिया, राजेंद्र नेगी, नेत्र बल्लभ जोशी, योगेंद्र बिष्ट, नितिन बल्यूटिया आदि मौजूद रहे।