हल्द्वानी में स्वराज आश्रम अतिक्रमण पर न्यायमित्र की रिपोर्ट पर महत्वपूर्ण फैसला

हल्द्वानी में स्वराज आश्रम अतिक्रमण पर न्यायमित्र की रिपोर्ट पर महत्वपूर्ण फैसला
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी की मटर गली के समीप नजूल भूमि में बनी व्यायामशाला की भूमि से अतिक्रमणकारियों का कब्जा हटाए जाने
न्यायालय ने अधिवक्ता गोपाल के.वर्मा को न्याय मित्र बनाते हुए मौके की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
मंगत राम गुप्ता ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर कहा कि हल्द्वानी मटर गली के समीप नजूल भूमि में बनी व्यायामशाला की जमीन पर
अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर वहां पर निर्माण कर लिया गया है, जिसमें स्वराज आश्रम भी शामिल है।
पूर्व की जांच रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने माना था कि व्यायामशाला की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” HS NEWS ” हल्द्वानी | आज सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी द्वारा पेश शपथपत्र पर न्यायमित्र ने आपत्ति जाहिर की। जिसमें कहा गया था कि शपथपत्र में दुकानें हटाने का जिक्र किया है परंतु स्वराज आश्रम या होटल के बारे में कोई जिक्र नही किया है। इसलिए इसकी फिर से जाँच कराई जाए। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी की मटर गली के समीप नजूल भूमि में बनी व्यायामशाला की भूमि से अतिक्रमणकारियों का कब्जा हटाए जाने को लेकर न्यायालय ने अधिवक्ता गोपाल के.वर्मा को न्याय मित्र बनाते हुए मौके की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

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मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति अलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ को लिखे पत्र पर स्वतः संज्ञान लेकर न्यायालय ने इसे जनहित याचिका के रूप में सुना। मामले की सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने गोपाल को न्यायमित्र बनाया और उन्हें निर्देश दिए कि वे स्वयं इसका निरीक्षण कर मय फोटोग्राफ सहित चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें।

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मामले के अनुसार हल्द्वानी व्यायामशाला सोसायटी के पदाधिकारी मंगत राम गुप्ता ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर कहा कि हल्द्वानी मटर गली के समीप नजूल भूमि में बनी व्यायामशाला की जमीन पर अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर वहां पर निर्माण कर लिया गया है, जिसमें स्वराज आश्रम भी शामिल है।

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व्यायामशाला का मुख्य उद्देश्य स्थानीय खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण देना था। जिसपर अतिक्रमण कई लोगो द्वारा किया गया। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से

व्यायामशाला की भूमि से अतिक्रमण हटाने की गुहार 2018 में लगायी थी। पूर्व में न्यायालय ने उनके पत्र का संज्ञान लेते हुए अधिवक्ता गोपाल के.वर्मा को न्यायमित्र नियुक्त किया था । पूर्व की जांच रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने माना था कि व्यायामशाला की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।

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