लोकसभा सीटवार नवयुवा मतदाता – नैनीताल-ऊधमसिंह नगर, 30523 – हरिद्वार, 32418 – पौड़ी (गढ़वाल), 29919 – टिहरी, 28638 – अल्मोड़ा, 23722
2024 लोकसभा चुनावों में युवा ही निभाएंगे बड़ी भूमिका 5 सांसदो को चुनने में बड़ा महत्व
18-19, 1.45 लाख, 1.74 प्रतिशत
20-29, 16.60 लाख, 20 प्रतिशत
30-39, 22.44 लाख, 27 प्रतिशत
40-49, 17.04 लाख, 21 प्रतिशत
50-59, 11.86 लाख, 15 प्रतिशत
60-69, 7.5 लाख, 9.01 प्रतिशत
70-79, 4.14 लाख, 4.97 प्रतिशत
- जनता जनार्दन की आवाज * संवाददाता अतुल अग्रवाल * हल्द्वानी | – शनिवार को लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मतदाताओं के आयु वर्गवार भी आंकड़े जारी किए। युवा उत्तराखंड के भविष्य की कुंजी भी युवा मतदाताओं के हाथ मे है। युवाओं का मत प्रतिशत राजनीतिक दलों और प्रत्यशियों की जीत-हार की पूरी क्षमता रखता है।इसकी वजह भी स्पष्ट है, क्योंकि प्रदेश में युवा मतदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत से अधिक है। इसमें भी आयु वर्ग की बात बात की जाए तो 30 से 39 वर्ष की उम्र के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक 27 प्रतिशत से अधिक है। यह ऐसी उम्र है, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने और अपने देश के भविष्य को लेकर आसानी से निर्णय कर सकता है।
उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मतदाताओं के आयु वर्गवार भी आंकड़े जारी किए। प्रदेश में युवा मतदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत से अधिक है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 18-19 से लेकर 40 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में मतदातों की संख्या सर्वाधिक है। लोकसभा सीटवार नवयुवा मतदातों की बात करें तो यह संख्या सर्वाधिक हरिद्वार में है, विश्लेषण से तस्वीर साफ हो जाती है कि चुनाव परिणाम को तय करने में कौन सा वर्ग निर्णायक भूमिका निभा सकता है।आंकड़ों के अनुसार वर्ष 18-19 से लेकर 40 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में मतदातों की संख्या सर्वाधिक है। वहीं, 60 से 80 व इससे अधिक वर्ष के मतदाताओं की संख्या सबसे कम करीब 16 प्रतिशत के बीच है। मतदाताओं का जो वर्ग वरिष्ठ नागरिक होने के करीब (50 से 59 वर्ष) है



इस लोकसभा चुनाव में 18-19 वर्ष की उम्र के 1.45 लाख से अधिक ऐसे मतदाता भी तैयार हैं, जो देश के भविष्य के लिए मतदान का दायित्व पूरा करेंगे। लोकसभा सीटवार नवयुवा मतदातों की बात करें तो यह संख्या सर्वाधिक हरिद्वार में है। वहीं, सबसे कम नवयुवा मतदाता अल्मोड़ा सीट पर हैं।
पहले वोट का अहसास ही कुछ अलग होता है। जब कोई नवयुवा 18 वर्ष की उम्र पर पहुंचता है तो वह न सिर्फ बालिग कहलाता है, बल्कि उसके कानूनी अधिकार भी बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही जब ऐसे युवाओं को मताधिकार का अधिकार प्राप्त होता है तो उसके हाथ मे देश का भविष्य तय करने का अधिकार और इस जिम्मेदारी को पूरा करने का दायित्व भी आ जाता है।
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