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बजट के भाषण में किसान और जवान दोनों नदारद >> दीपक बल्यूटिया

बजट के भाषण में किसान और जवान दोनों नदारद >> दीपक बल्यूटिया
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हल्द्वानी- बजट 2022-23 आज के बजट में केवल हवाई बातें हुई और वित्तमंत्री और केंद्र सरकार की कोई आर्थिक दूरदृष्टि नहीं दिखी है, वित्तमंत्री ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी मांगों को लेकर बजट में कोई चर्चा नहीं की साथ ही वित्तमंत्री के भाषण में डिफेंस बजट पर कोई चर्चा नहीं की गई है। सरकार वित्तीय घाटे को वर्तमान वर्ष के 6.5 प्रतिशत से कम करके अगले वर्ष मात्र 5.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। सरकार में वित्तीय घाटे के समायोजन को लेकर कोई चिंता नहीं है। केंद्र सरकार ने राज्यों पर वित्तीय घाटे को कम करने का दवाब बनाया हुआ है। लेकिन खुद कुछ नहीं कर रही है। यह संघीय भावना के विपरीत है।
हमारी आधी आबादी महिलाओं के लुभाने के लिए वित्तमंत्री ने महिलाओं के लिए एक नयी बचत स्कीम दो वर्ष के लिए प्रारंभ करने को कहा है लेकिन इसमें ब्याज दर मात्रा 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष है, जो आजकल सभी बैंक दे रहे हैं। यह देश की महिलाओं के साथ छलावा है।
हमारे देश के युवाओं के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है लेकिन सरकार बढ़ती बेरोजगारी से कैसे युवाओ को निजात दियायेगी इसके लिए इस बजट में कुछ नहीं है।
भारत पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर चुनौतियों से जूझ रहा है, पश्चिमी सीमा पर चीन के साथ सीमा पर झड़प की संभावना लगातार हो रही हैं फिर भी देश की रक्षा बजट में मात्र 4.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यह मोदी सरकार की मंशा को दिखाता है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सरकार कितनी लापरवाह है।
मध्यम वर्ग कई वर्षों से व्यक्तिगत आय कर में कमी की आशा लगा रखी थी, और साल-दर-साल उन्हें निराश करने के बाद इस साल सरकार ने उनके साथ एक छलावा किया है। आप सतही तौर पर देखें तो ऐसा प्रतीत होगा कि आय कर की दरों में कमी की गई और मध्यम वर्ग को लाभ होगा, लेकिन हम शीर्षक के आगे देखे तो हमें पता चलेगा उन्हें बहुत मामूली लाभ होगा। कुल मिला कर कहा जाए तो इस बजट में किसी भी वर्ग के लिए कुछ खास नहीं है, इस बजट से देश में निराशा का माहौल पैदा होगा।

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