वन भूमि का व्यवसाय उपयोग अवैध मोबाईल टॉवर लगा लाखो रु0 राजस्व का चूना छेत्रीय वन विभाग के उच्चाधिकारी कुम्भ कर्णी ?

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | बिन्दुखत्ता लालकुंआ छेत्र में वन विभाग की सरकारी भूमि का व्यावसीकरण करते हुए हाटा ग्राम इंद्रानगर न0 1 बिन्दुखत्ता में नियमो को धता बताकर सरकारी स्कूल से महज़ ही कुछ दूरी पर रिलायंस जिओ का टॉवर लगा दिया गया | जबकि मानको के अनुसार कोई भी मोबाईल टॉवर स्कूल \ घनी आबादी से 500 मीटर ( एयर डिस्टेन्स ) परिधि से कम में लगाना पूर्णयता प्रतिबंधित है | —



यदि बात की जाए बिन्दुखत्ता लालकुंआ क्षेत्र में वन विभाग की भूमि का व्यावसीकरण करते हुए कई स्थानों पर ग़ृह स्वामी ( JIO / INDUS / AIRTEL / ATC / ESSAR व कई अन्य ) कम्पनियो के मोबाईल टॉवर लगा कर , अवैध संचालन करते हुए प्रतिवर्ष वन विभाग को लाखो रूपये के राजस्व का चूना लगाते हुए अपनी जेबे भर रहे है —

जैसे – ( 1 ) वन विभाग की भूमि सरकारी स्कूल के निकट ( JIO ) हाटा ग्राम इंद्रानगर न0 1. ( 2 ) MSJ प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल की बाउंड्री वाल से सटाकर इंद्रानगर न0 1= INDUS. ( 3 ) राणा के भवन की भूमि पर घनी आबादी के बीचोबीच ( JIO ) ( 4 ) ITBP 34 बटालियन गेट न0 2 के पास देवेंद्र सिंह बिष्ट विकासपुरी ( JIO ) , ( 5 ) वन विभाग डिपो न0 1 , हल्द्वानी स्टोन क्रेशर वन विभाग की बाउंड्री वाल से सटाकर ( ट्राली +कार रोड ) लालकुंआ = ( 6 ) सरकारी स्कूल से महज़ 300 की दूरी पर घनी आबादी में मेन मार्किट कार रोड पर ( JIO + INDUS ) कम्पनियो के दो मोबाईल टॉवर एक ही स्थान पर , प्रेम बल्लभ जोशी के द्वारा संचालित किये जा रहे है |

विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी के मुताबिक सरकारी वन भूमि एव घनी आबादी में समस्त अवैध मोबाईल टॉवर संचालित करने वालो के द्वारा संबंधित विभाग , DTC , STC सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा अनुमति लेना अनिवर्यता है | जिलाधिकारी , ग्राम प्रधानों एवम ग्राम पंचायत से एनओसी या अनापत्ति प्रमाण पत्र तक नहीं लिए गए है —

जबकि मनको गाइड लाइनों के अनुसार – ग्राम पंचायत कार्यालय में ( 5000 हज़ार रु0 ) शुल्क जमा कर अनापत्ति प्रमाण के पश्चात ही तौर लगाने की अनुमति स्वीकृत होती है –
वही विनिमियत \ अविनिमित अधिकारी के कार्यालय में ( 50,000 हज़ार रु0 से 1,00000 लाख ) का विकास शुल्क जमा कर अनापत्ति पत्र लेना अनिवार्यता है | दूसरी ओर किसी भी स्थान पर लगाए गए अवैध मोबाईल टॉवर की 6 माह; के भीतर कम्पाउंडिंग होना अनिवार्यता है ,अन्यथा संबन्धित विभाग व शासन के उच्चाधिकारियों को टॉवर हटाने की कार्यवाही करना अधिकार क्षेत्र में होता है ,
सबसे अहम बात सरकारी वन भूमि पर अवैध मोबाईल टॉवर संचालित करने वालो के द्वारा ,
1 -राजस्व की चोरी से वन विभाग को लाखो रुपयों का लगाया जा रहा है चूना 2 – विधुत विभाग के राजस्व का चूना 3 – स्टैम्प ड्यूटी + विकास शुल्क + टॉवर शुल्क के राजस्व की चोरी – वही बात की जाए एक ओर वर्तमान अवैध खनन पर लगाम लगा रही है वही मोबाईल टॉवर लगाते वक़्त जीसीबी मशीनों द्वारा सरकारी भूमि खुर्द बुर्द कर खुल्लेआम बिना रॉयल्टी दिए अवैध खनन किया जा रहा है ,
सीधी तौर कहा जाए तो सरकारी वन भूमियो का व्यावसीकरण करते हुए मानकों को ताक पर रख घनी आबादी क्षेत्रो में अवैध मोबाईल लगाकर प्रतिवर्ष लाखो रूपये के राजस्व की चोरी को बढ़ावा दिया जा रहा है आखिर ज़िम्मेदार ?
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