अभिभावक त्रस्त बड़े बड़े दावे करने वाले कुर्सी की दौड़ में व्यस्त

अभिभावक त्रस्त बड़े बड़े दावे करने वाले कुर्सी की दौड़ में व्यस्त
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संवाददाता अतुल अग्रवाल – डिजिटल चैनल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के चलते पूरे विश्व के साथ-साथ भारत भी नहीं रहा अछूता | वही देश के प्रधानमंत्री के द्वारा 20 मार्च 2020 को एक दिवसीय देशव्यापी जनता कर्फ्यू लगाया गया ,वही संक्रमण की रोकथाम के लिए संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगने के पश्चात देश में सभी सरकारी संस्थान ,शिक्षण संस्थान ,परिवहन पूर्णता प्रतिबंधित कर दिए गए ,लॉकडाउन मैं सभी कल कारखाने बंद होने पर मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया बेरोजगार परिवार के साथ छोटे-छोटे बच्चों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए परिवहन सुविधा ना होने के कारण पैदल ही सफर तय करना पड़ा ,

वही शिक्षण संस्थान पूर्णयता प्रतिबंधित कर दिए गए सरकार द्वारा निर्देश दिए गए शिक्षा संस्थान ऑनलाइन बच्चों को शिक्षा प्रदान करेंगे लेकिन यदि बात की जाए हमारे देश में ऐसे कई राज्य ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां पर आज तक इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है , एक और वैश्विक महामारी कोरोना की मार दूसरी ओर नौकरी एवं हाथ से गया कारोबार , ऐसी विषम परिस्थितियों में अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने मैं जनता रही असमर्थ

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वही शिक्षण संस्थानों के द्वारा बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर ट्यूशन शुल्क के नाम पर फीस में मनमानी बढ़ोतरी कर दी गई ,कई ऐसे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के द्वारा ऑनलाइन क्लासेज भी बीच में ही रोक दी गई, जब अभिभावकों ने इस विषय में विद्यालय से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तो अभिभावकों को बताया गया पहले आप शुल्क जमा करें उसके उपरांत ही आपके बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी ,

परंतु वही देखने को मिला प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के द्वारा ट्यूशन के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूली गई लेकिन कार्यरत शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया वहीं सरकार के द्वारा यह निर्णय लिया गया वैश्विक महामारी कोरोना काल में शिक्षण संस्थानों में परीक्षाएं नहीं कराई जाएंगी छात्र छात्राओं को पदोन्नत कर दिया जाएगा ,इस पर पूर्णता अमल भी किया गया

परंतु वर्ष 2021-22 मैं पुनः शिक्षा संस्थान खोलने पर जो छात्र छात्राएं उत्तीर्ण हुए थे जब अभिभावक अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड स्थानांतरण पत्र व अन्य जरूरी पेपर लेने विद्यालय पहुंचते हैं , बड़े-बड़े प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के मैनेजमेंट के द्वारा यह कहा गया पहले विद्यालय की फीस शुल्क जमा कीजिए उसके उपरांत ही बच्चों के रिपोर्ट कार्ड एवं अन्य पेपर सुपुर्द किए जाएंगे आज भी हजारों अभिभावक शिक्षण संस्थानों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं एक और कारोबार नहीं दूसरी ओर रोजगार नहीं वही प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के द्वारा अभिभावकों पर निरंतर दबाव बनाया जा रहा है पहले फीस उसके बाद शिक्षा

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सवाल यही पैदा होता है जो आज मंचों से खड़े होकर अपने आप को जनता के हितैषी बताते हुए जनता के हितों बेहतर शिक्षा , बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं ऐसे जनप्रतिनिधियों के द्वारा आजतक कितने अभिभावकों की समस्या के समाधान किए गए, जो बच्चे आज शिक्षण संस्थानों में शुल्क जमा करने में असमर्थ हैं कितने बच्चों के ऐसे जनप्रतिनिधियों के द्वारा शुल्क जमा करके आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रयास किए गए

यदि बात की जाए विधानसभा 59 हल्द्वानी शहर में ही बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान फाइव स्टार सुविधा युक्त बनाए गए हैं जिसमें सुविधाओं के नाम पर अभिभावकों से प्रतिमाह एक मोटी रकम वसूली जाती है , क्या उनके द्वारा ऐसे छात्र-छात्राओं को शिक्षा शुल्क में राहत दी गई , केवल बड़ी बड़ी घोषणा करने से छात्र छात्राओं का भविष्य उज्जवल नहीं बनेगा ,

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आज प्रदेश में शहर में शिक्षा के नाम पर बड़ी-बड़ी इमारतें बना दी गई हैं विडंबना यह है कि इन इमारतों का लाइट , पेयजल , रखरखाव , परिवहन सुविधा के नाम पर अभिभावकों से एक मोटी रकम वसूली जाती है , जब अभिभावक इसके विरोध में स्वर तेज करते हैं विद्यालय के द्वारा एक चेतावनी दी जाती है नहीं पढ़ा सकते तो बच्चों को घर लेजाइये खुलेआम शिक्षा के नाम पर प्राइवेट स्कूलों में ड्रेसे ,किताबें ,स्कूल बैग, बच्चों के शूज ,प्राइवेट स्कूल वालों से अनुबन्धित दुकानों से ही लेने को अभिभावक रहते हैं मजबूर , जानकारी के मुताबिक आज भी कई ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जहां बच्चों के स्थानांतरण पत्र के एवज में500 – 500 रूपये वसूले जा रहे हैं ,शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का उत्पीड़न लगातार किया जा रहा है , आखिर कौन है प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के मालिक ??? परंतु वही जनप्रतिनिधि मौन क्यों

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