रेलवे गफूर व ढोलक बस्ती की आड़ में100 वर्षो पुरानी बस्ती को दे रहा है गफूर बस्ती का नाम -राजा बेदखली से पहले किशोरियों-लड़कियों-महिलाओ को सुरक्षा मुहय्या पहले कराई जाये-तर्रनुम

रेलवे गफूर व ढोलक बस्ती की आड़ में100 वर्षो पुरानी बस्ती को दे रहा है गफूर बस्ती का नाम -राजा बेदखली से पहले किशोरियों-लड़कियों-महिलाओ को सुरक्षा मुहय्या पहले कराई जाये-तर्रनुम
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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |

हल्द्वानी | बनभूलपुरा संघर्ष समिति ने रेलवे अतिक्रमण को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। जिसमें रेलवे द्वारा 4500 मकानों को अतिक्रमण के दायरे में बताने को गलत बताया गया है।

बनभूलपुरा निवासियों द्वारा सौंपे ज्ञापन में कहा कि रेलवे के बरेली इज्जतनगर मण्डल में किसी भी पक्ष की सही से सुनवायी नहीं की गई और एक जैसा आदेश बनाकर सभी को बेदखली का नोटिस दे दिया है। जबकि अभी तक नगर निगम द्वारा अपनी जमीन का सीमांकन नहीं किया गया है, इस इलाके में 400 या 500 लोगों को जिलाधिकारी द्वारा जमीन के पट्टे भी दिये गये जिसमें से कुछ पट्टे धारको का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जनता ने कहा कि गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती एक अलग बस्ती है, जिसका अतिक्रमण 2007 में भी किया गया था। लेकिन गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती की आड़ में रेलवे 100 सालों से उपर बसी बस्ती को भी गफूर बस्ती का नाम दे रहा है। जबकि चोरगलिया रोड से नीचे वाली बस्ती जिसको आजाद नगर, नई बस्ती, इन्द्रानगर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि पहले नगर निगम अपनी जमीन तो बताये कि उसकी कितनी जमीन है उसके बाद जो जमीन बचे उसका अतिक्रमण हटाने से पहले दूसरी जगह बसाने का इन्तजाम किया जाए। उन्होंने कहा कि 4500 मकानों के बीच दो इण्टर कालेज है, तथा दुर्गा मंदिर, गोपाल मंदिर और दर्जनों मस्जिद भी इस इलाके में है। उन्होंने कहा कि पहले नगर निगम का सीमांकन करवाया जाये। इसके बाद बची भूमि को अतिक्रमण हटाने से पहले उनका पुनर्वास करवाया जाये। हजारों परिवारों को इस तरह बेदखल कर देना यह कहा का इन्साफ है।