रेलवे के पास ऐसा कोई भी सबूत नहीं कि 78 एकड़ ज़मीन रेलवे की हैं -सुमित

रेलवे के पास ऐसा कोई भी सबूत नहीं कि 78 एकड़ ज़मीन रेलवे की हैं -सुमित
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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | आज सुप्रीम कोर्ट में रेलवे बनाम सारी दलील थी उसकी तारीक में आज रेलवे आया और रेलवे ने 2 माह का अतिरिक्त समय माँगा है।

रेलवे के दस्तावेज पूरे नहीं थे जोकि हम पूर्व से ही कहते आ रहे हैं रेलवे ने अपनी मन मानी से सीमांकन करके 78 एकड़ ज़मीन अपनी दर्शा दी अगर असल में रेलवे की भूमि 78 एकड़ होती तो आज दस्तावेज़ो के साथ रेलवे सुप्रीम कोर्ट में आकर प्रमाणित करती। अब ये साफ़ दर्शाता हैं की रेलवे ने हाई कोर्ट में झूट बोला हैं और अब उस झूट को बचाने के लिए रेलवे तारिक पे तारिक माँग रही हैं। इसके साथ राज्य सरकार ने भी रेलवे से दस्तावेज माँगे है रेलवे उन दस्तावेज़ो को देने में असक्षम रही हैं। रेलवे के पास ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे ये दिखता है की 78 एकड़ ज़मीन रेलवे की हैं। कई बारी गौला में कटाव आने से रेलवे की पटरी स्थानांतरित हुई हैं जिसकी वजह से पूर्व में जो सीमांकन किया गया हैं और आगे भी सोचा जा रहा हैं वो भी ग़लत होने की पूरी आशंका हैं। आज सुप्रीम कोर्ट में हमारे सम्मानित वकीलों ने अच्छी दलील पेश करते हुए कोर्ट को यह भी बताया की रेलवे दस्तावेज लेकर आ रही है लेकिन इतना समय माँग रही हैं उससे साफ़ प्रतीत हो रहा हैं की रेलवे के काग़ज़ो में कमी है और उनकी इस पूरी प्रक्रिया में भी भारी कमी रही हैं।