रेलवे पहले पुनर्वास फिर अतिक्रमण की कार्यवाही करें एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

रेलवे पहले पुनर्वास फिर अतिक्रमण की कार्यवाही करें एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
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रेलवे के पास केवल चार ही नक्शे मात्र है इनका कहना है कि रेलवे ने स्वीकारा है कि रेलवे के पास उनकी कोई जमीन नहीं है – रजनी
भारत देश ऋषि-मुनियों का देश है उसके पश्चात देश पर अंग्रेजों ने राज किया उस वक्त कोई भी नक्शा -रजिस्ट्री -खाता खतौनी -नहीं बना करती थी – रजनी
आज रेलवे जो मानचित्र दिखा रहे वह आजादी के बाद मानचित्र बनाए गए – रजनी
हम मान लेते हैं भूमि नगर निगम नहीं नगर निगम केयरटेकर है नगर निगम सीमांकन स्पष्ट करें – रजनी

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |

हल्द्वानी के एसड़ीएम कोर्ट में रेलवे की भूमि पर वर्षो से रह रहे हज़ारो लोगो जिसमे ढोलक बस्ती,  गफूर बस्ती ,बनभूलपूरा, इंदिरा नगर के अंतर्गत रेलवे के पास चार नक्शे के अलावा कुछ नहीं है सिर्फ एक प्लान है रेलवे के पास भूमि मालिकाना अधिकार के कोई भी कागज नहीं है उसके बावजूद भी रेलवे बस्ती को अपना इलाका बता कर उजाड़ना चाहता है हज़ारो परिवारों के घर उजड़ जाएंगे जिनमें छोटे-छोटे मासूम बच्चे, नौजवान लड़कियां व बूढ़े बुजुर्ग हैं सरकार उन्हें उनके घर से बेदखल कर देना चाहती है

जब रेलवे लाइन नहीं बिछी थी तब से यहाँ  लोग रहते आ रहे है रेलवे उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है इस शहर को बसाने में इन बस्ती वालों का बड़ा योगदान रहा है इस पूरे मामले को लेकर ढोलक बस्ती ,बनभूलपूरा ,इंदिरा नगर की जनता व प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन परिवर्तन कामी छात्र संगठन व न्याय प्रिय जनता ने इस प्रदर्शन में भागीदारी की | एसडीएम को ज्ञापन प्रेषित किया गया व महोदय से कहा कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच करें  हमें न्याय दिया जाए

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रेलवे को लेकर – प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी से सवाल जवाब

संवाददाता – ये भूमि किसकी है

प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी – हल्द्वानी में ढोलक बस्ती बनभूलपुरा इंदिरानगर को रेलवे अपनी भूमि बताते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के लिए तैयार है परंतु उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन हैं वही इनका कहना है कि यह भूमि रेलवे की नहीं है जिसके खिलाफ आरटीआई के तहत सूचना के अधिकार से मांगी जाने पर जानकारी प्राप्त हुई है कि रेलवे के पास केवल चार ही नक्शे मात्र है इनका कहना है कि रेलवे ने स्वीकारा है कि रेलवे के पास उनकी कोई जमीन नहीं है

संवाददाता – आप इस भूमि पर कब से रह रहे है
प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी – आरोप हम उस वक़्त से इस भूमि पर रहते आ रहे है जब इस क्षेत्र में रेलवे लाइन थी ही नहीं ,उस वक्त से आज तक हजारों परिवार यहां पर हम लोग यहां पर मय परिवार के रह रहे हैं आज रेलवे झूठा दावा करते हुए केवल मकानों को उजाड़ने की बातें कर रहा है

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संवाददाता – रेलवे अपनी भूमि के मानचित्र दिखा रहा है
प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी – भारत देश ऋषि-मुनियों का देश है उसके पश्चात देश पर अंग्रेजों ने राज किया उस वक्त कोई भी नक्शा -रजिस्ट्री -खाता खतौनी -नहीं बना करती थी आज रेलवे नक्शा दिखा कर इस भूमि को अपना बता रहा है सरकार पहले पुनर्वास करें उसके बाद उजाड़ने का काम करें इनके द्वारा सीधे-सीधे आरोप लगाया गया है कि जब हम उस वक्त से रहते हैं जब यहां कोई भी रेलवे पटरी नाम की चीज नहीं थी तो आज दिन में हम को किस अधिकार से इसको अपनी भूमि बताते हुए हजारों परिवारों को उजाड़ रहा है यदि सरकार कहती है भूमि हमारी है तो पहले सरकार पुनर्वास करें

संवाददाता – रेलवे आज जो मानचित्र दिखा रेलवे को अपनी भूमि बता रहा है वह मानचित्र किसने बनाये

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प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी – जवाब आजादी के बाद मानचित्र बनाए गए आज रेलवे जो मानचित्र दिखा रहे उनके द्वारा सवाल के जवाब में स्कूलों की बात की गई धार्मिक स्थलों की बात की गई उनके द्वारा सरकार पर आरोप भी लगाया गया बिजली की लाइनें बिछाई गई सड़कें बिछाई गई पानी की लाइनें बिछाई गई यह सब सरकार ने हमको दिया है

संवाददाता -नगर निगम इसको अपनी भूमि नहीं मानता
प्रगतिशील महिला की पदाधिकारी ( कम्युनिस्ट विचाधारा ) रजनी जोशी – नगर निगम ने स्वीकारा है उनकी कोई भूमि नहीं है हम केवल केयरटेकर हैं रजनी जोशी का कहना है भूमि सरकारी है तो सरकार हजारों परिवारों का पहले पुनर्वास करें वही रजनी जोशी का कहना है कि ,हम मान लेते हैं नगर निगम केयरटेकर है भूमि नगर निगम की नहीं है रजनी जोशी का कहना है जो लोग कई सदियों से यहां निवास कर रहे हैं क्या उनको आज उजाड़ना सही है रजनी जोशी का कहना है कि वहां पर छोटे-छोटे बच्चे लड़कियां रहती है रेलवे किस अधिकार से यहां बसे हजारों परिवारों को अतिक्रमण हटाने के नाम पर उजाड़ रहा है ,वहीं उन्होंने वन विभाग- नगर निगम -राजस्व विभाग सीमांकन स्पष्ट करें उन्होंने आरोप लगाया है

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