आजादी के 75 वर्षाें बाद भी वन गुर्जर और खत्तावासियों को अपने मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित ?

आजादी के 75 वर्षाें बाद भी वन गुर्जर और खत्तावासियों को अपने मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित ?
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21 वर्षो से सरकारे बदली समस्याएं जस की तस
हजारों नागरिकों की आबादी आजादी के 75 वर्षाें बाद भी अपने मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित
अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा 15 नवंबर को पूरे देश में वन संरक्षण नियम 2022 के खिलाफ किसानों के संयुक्त प्रदर्शन

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में वन गुर्जर और खत्तावासियों को मूलभूत नागरिक सुविधाएं देने की मांग पर जुलूस निकालकर जिलाधिकारी नैनीताल कैम्प कार्यालय हल्द्वानी पहुंचा. इसके पूर्व किसान महासभा के नेतृत्व में वन गुर्जर और खत्तावासी अब्दुल्ला बिल्डिंग के सामने, नैनीताल रोड, हल्द्वानी पर एकत्र हुए उसके बाद वहां से जुलूस नैनीताल रोड मुख्य मार्ग होते हुए जिलाधिकारी नैनीताल के कैम्प कार्यालय पहुंचा.
नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, चम्पावत जिले के टनकपुर, बनबसा, क्षेत्र में रहने वाले वन गुर्जर, गोठ-खत्तावासियों, जिन सैकड़ों परिवारों के नाम परिवार रजिस्टर भाग-2 में दर्ज होने से छूट गये हैं दर्ज किये जाने, जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बनाये जाने, पात्र व्यक्तियों को विधवा, वृद्धा, विकलांग, परित्यकता पेंशन, शिक्षा से वंचित सैकड़ों बच्चों के लिए स्कूल, स्वास्थ्य-चिकित्सा, जल जीवन मिशन के तहत गुणवत्ता युक्त जल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत वनों में रहने वाले हजारों परिवारों के लिए भी शौचालय बनाये जाने की मांग के सम्बंध में जिलाधिकारी नैनीताल कैम्प कार्यालय, हल्द्वानी में जिलाधिकारी नैनीताल के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को मांग पत्र प्रेषित किया गया जिसको अपरजिलाधिकारी नैनीताल ने प्राप्त किया. जिसकी प्रतिलिपि आवश्यक व व्यवहारिक कार्यवाही एवं सूचनार्थ हेतु कमिश्नर कुमाऊँ और जिलाधिकारी नैनीताल को दी गई.

इस अवसर पर भाकपा माले के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि,”आदिवासियों वनवासियों के लंबे संघर्ष के बाद वनाधिकार कानून 2006 बना था लेकिन मोदी सरकार कानून को लागू कर वनों में सैकड़ों वर्षों से रहने वाले लोगो को अधिकार देने के बजाय वन संरक्षण नियम 2022 पारित कर उनके बचे खुचे अधिकारों को भी छीनने पर आमादा है.” उन्होंने कहा कि, “उत्तराखंड के वनों में रहने वाले गुर्जर और खत्तावासियों से सोलर लाइट लगाने का अधिकार भी राज्य की धामी सरकार छीन रही है और दूसरी ओर राज्य के जंगलों में वनंतरा रिसॉर्ट जैसे सैकड़ों रिसॉर्टों को ऐयाशी का अड्डा बनाने के लिए कोई रोक टोक नहीं है. कुल मिलाकर भाजपा की धामी सरकार मोदी की उत्तराखंड दौरे में आवभगत में बिछने और वनो पर बड़े कॉरपोरट को कब्जा दिलाने का काम कर रही है.”

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “नैनीताल, उधम सिंह नगर व चम्पावत जिलों के वनों मे रहने वाले वनगुर्जर, पहाड़ी, थारू जनजाति व अन्य जो कम से कम 40 वर्षाें से लेकर 100, 125, 150 वर्षाें से भी अधिक समय से स्थायी रूप से वन खत्तों में रहकर पशुपालन, दूध उत्पादन, मेहनत मजदूरी कर बड़ी मुश्किल से गुजर बसर करते आ रहे हैं। वनगुर्जर तो उत्तराखण्ड में सन् 1880 से करीब 150 वर्षों से निवास करते आ रहे हैं, जिनका नाम देश की आजादी के बाद से आज तक परिवार रजिस्टर भाग-2 में दर्ज नहीं हुआ है, न ही स्थायी निवास, जाति प्रमाण पत्र बन पाए हैं। इसके लिए वनवासियों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। वनवासियों के बच्चे स्कूलों के अभाव में शिक्षा नही ले पा रहे हैं, जो मुश्किलों में पढ़ भी रहे हैं तो परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज नहीं होने, स्थायी निवास व जाति प्रमाण पत्र न बन पाने से उन्हें शिक्षा अधर में ही छोड़नी पड़ रही है. जंगलों के बीच रहने वाली हजारों नागरिकों की आबादी आजादी के 75 वर्षाें बाद भी अपने मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित है यह देश के लोकतंत्र पर सवालिया निशान लगा देता है। इतनी बड़ी आबादी को मूलभूत अधिकार मिलना ही चाहिए.”

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उन्होंने चेतावनी दी कि, “यदि मांगों पर त्वरित कार्यवाही नहीं हुई तो दो महीने बाद गोठ व खत्ता वासियों , वन गुर्जरों को बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।”

साथ ही आगामी 15 नवंबर को पूरे देश में वन संरक्षण नियम 2022 के खिलाफ किसानों के संयुक्त प्रदर्शन को अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा समर्थन की घोषणा की गयी.

जुलूस प्रदर्शन में मुख्य रूप से किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, किसान महासभा जिला अध्यक्ष भुवन जोशी, भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डॉ कैलाश पांडेय, मोहम्मद यामिन, आलमगिर, मोहम्मद बशीर, इरशाद अली, विमला रौथाण, पुष्कर दुबड़िया, मोहम्मद हुसैन, गुलाम नबी, बाबू भाई, मोहम्मद यासीन, किशन बघरी, ललित मटियाली, अब्दुल कयूम, कमल जोशी अब्दुल गनी, गुलाम मुस्तफा, याक़ूब, हाजी शफी, दीवान सिंह रावत, जहूर हुसैन, निर्मला शाही, आयशा बेगम, प्रकाश राम, मेघ बीबी, प्रमोद कुमार, आनंद दानू,प्रताप राम, संजय आर्य, सुरेश सिंह, यशपाल सिंह, इनाम अली, गोविंद सिंह आदि समेत बड़ी संख्या में किसान शामिल रहे.

ज्ञापन के माध्यम से पंद्रह सूत्रीय निम्न मांगें उठाई गई:-

1- नैनीताल जिले के मुख्य विकास अधिकारी, वनाधिकारियों ने माननीय उच्च न्यायालय के एक आदेश की गलत व्याख्या कर वनों में रहने वाले हजारों वन गुर्जरों, गोठ खत्तावासियों के मूलभूत नागरिक अधिकारों पर रोक लगाई है जो ठीक नही है। माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि वनों में पक्के निर्माण कार्य वाली योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
महोदय अखिल भारतीय किसान महासभा व वनों में रहने वाले हजारों परिवारों द्वारा भी मनरेगा, पानी की लाइन बिछाने, पक्के स्थायी निर्माण आदि की माँग नही की जा रही है। माननीय उच्च न्यायालय ने संविधान प्रदत्त मूलभूत नागरिक अधिकारों पर कोई रोक नहीं लगाई है। इसलिए महोदय स्वयं संज्ञान लेते हुए मानवीय आधार पर देश की आजादी से अब तक वंचित रह हजारों वनवासियों को भी नागरिक अधिकार दिये जाने के आदेश पारित करने की कृपा करेंगे।
2- वनों में रहने वाले नागरिकों के लिए परिवार रजिस्टर, स्थायी निवास, जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल कर तीनों जिलों के खत्तों से सम्बंधित तहसीलों के पटवारी, राजस्व निरीक्षकों के द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर वैसे ही सर्वे कराया जाए जिस तरह पूर्व में दिसम्बर 2012 में तहसील हल्द्वानी व लालकुआं के वनखत्तों के स्थलीय सर्वेक्षण कराया गया था।ताकि हमारे द्वारा दी गयी सूचना को प्रशासन प्रशासन सत्यापित कर सके। यदि सूचना सही पायी जाती है तो हम आपसे मांग करते हैं कि खत्तों के बीच शिविर लगाकर अतिशीघ्र परिवार रजिस्टर, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, स्थायी निवास, जाति प्रमाण पत्र बनाये जाने के आदेश पारित किया जाए। वनखत्तों में छूट गये सैकड़ों परिवारों के राशन कार्ड भी बनाएं जाएं।
3- वन गुर्जरों के साथ भेदभाव, दमन-उत्पीड़न बंद किया जाए।
4- वन गुर्जरों को भी पहाड़ी,गोठ-खत्तावासियों की तरह चारा-फसल बोने का अधिकार दिया जाए।
5- प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुमाऊँ के नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाये गये। लेकिन वनों मेंरहने वाले नागरिकों की अनदेखी की गयी है। तीनों जिलों के वनों में रहने वाले वन गुर्जर, गोठखत्तावासी, वनग्रामवासियों की करीब 40(चालीस) हजार से अधिक आबादी बीच जंगल में खुले में शौच करने के लिए बाध्य है। जिस कारण शेर, बाघ, हाथी, भालू, सुअरों के हमलों का खतरा हमेशा बना रहता है। इसलिए अविलम्ब सर्वेक्षण कराकर शौचालय बनाये जाने के आदेश पारित करने की कृपा की जाए।
6- नैनीताल जिले के हल्द्वानी विकास खण्ड के अंतर्गत दिवाल खत्ता(वनगुर्जर) ग्राम-पंचायत लामाचैड़ खास के दक्षिण में स्थित वन भूमि में बसे करीब 35 परिवार आज भी पोखरों/तालाब का पानी बरसात में ड्रमों, डेकों में इकट्ठा किया गया बारिश का पानी पीने को बाध्य हैं, यही स्थिति वन गुर्जर नहरखत्ता, आनन्दपुर ग्राम पंचायत के करीब 5-6 किमी. दक्षिण में बसे परिवारों की है। इसलिए शुद्ध पेयजल के लिए इंडिया मार्का हैंड पम्प लगाए जाएं। वन गुर्जर कलेगा खत्ता(हसपुर) स्कूल में भी इंडिया मार्का हैंड पम्प लगाया जाए।
7- कोटाबाग विकासखण्ड तहसील कालाढूंगी के अंतर्गत वन गुर्जर खत्ते, बौर खत्ता, नलवाड़ खत्ता तथा रायखत्ता (गड़प्पूखत्ता) के पास बसे खत्ता के करीब 150 परिवारों के लिए भी पेयजल की समस्या बनी हुई है। पेयजल के लिए इंडिया मार्का हैंड पम्प लगाए जाएं।
8- लूनियागाँज वन गुर्जर खत्ता (60 परिवार बैलपड़ाव) नलवाड़ व रायखत्ता(गड़प्पू) तहसील कालाढूंगी के अंतर्गत करीब 125 परिवार तथा नहरखत्ता 45 परिवार, भूड़ाखत्ता 115 परिवारों के बच्चे स्कूलों के अभाव में शिक्षा से वंचित हैं, सर्वे कर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल खोले जाए।
9- जिला उधम सिंह नगर के विकास खण्ड/ तहसील गदरपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कूल्हा से जुड़े वनगुर्जर खत्ता , हल्दूझद्दा में उच्च प्राथमिक स्कूल खोला जाए। तहसील, विकास खण्ड रूद्रपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कल्याणपुर(पत्थरचट्टा) से जुड़े टाॅँडा वन गुर्जर खत्ता व वन मजदूर बस्ती आबादी करीब 100 परिवार टाँडा रेंज कार्यालय के पास उच्च प्राथमिक स्कूल नहीं होने के कारण उस क्षेत्र के बच्चे आगे की पढ़ाई नही कर पा रहे हैं। इसलिए उच्च प्राथमिक स्कूल खोला जाए।
10- तराई पश्चिमी वृत के सभी वन प्रभागों के गेटों से वन गुर्जर खत्ता, गोठखत्तावासियों, वनग्रामवासियों से गैर व्यवसायिक वाहनों से शुल्क लेना बंद किया जाए। सन् 2011 में 23 जुलाई को तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेश बगौली जी की अध्यक्षता पूर्व सी.डी.ओ. दीपक रावत जी के संचालन में हल्द्वानी डी.एम. कैम्प कार्यालय में जिले के सभी विभागीय अधिकारियों व सभी वनाधिकारियों तथा किसान महासभा के गुर्जर/अन्य खत्तावासी प्रतिनिधियों की बैठक में निर्णय किया गया था कि सभी खत्तावासियों को गोबर उठाने का अधिकार दिया जाता है तथा वन गेटों-चैकियों पर गैर व्यवसायिक वाहनों से शुल्क नहीं लिया जायेगा। वन विभाग ने इस निर्णय/आदेश को कुछ वर्षाें तक लागू किया। लेकिन बाद के समय में निर्णय/आदेश की अवहेलना कर स्वतः तोड़ा है। इसीलिए पूर्व के आदेश को पुनः लागू कर वनगुर्जरखत्ता/अन्य खत्तावासियों से गैर व्यवसायिक वाहनों से शुल्क लेना बंद किया जाए।
11- तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत बसे पीपलपड़ाव खत्ता(जिला-नैनीताल) के करीब एक 1 किमी. उत्तर दिशा से भाखड़ा नदी हर वर्ष कटाव कर रही है जिससे पीपल पड़ाव खत्ता व वनों को भारी नुकसान होने का खतरा बना हुआ है। कटाव को रोकने के लिए नदी में अविलम्ब मानकों के अनुसार मजबूत तटबंध बनाया जाए।
12- तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत गौला रेंज में टीला खत्ता, वनगुर्जर, डौली रेंज के अंतर्गत खमारी खत्ता वनगुर्जर, पक्की पुलिया, चैड़ाघाट तथा बौड़खत्ता के दक्षिण मेंबसे कुल 35 (पैंतीस) वनगुर्जर परिवारों को कई बार मांग करने के बावजूद आज तक अक्षय ऊर्जा (सौर ऊर्जा) पैनल नहीं दिये गये हैं। जिनको घनघोर जंगल में खतरनाक जंगली जानवरों , साँप, बिच्छू, अजगरों के बीच अंधेरी रातों में डर-भय से जीवन बिताना पड़ रहा है। अविलम्ब सौर ऊर्जा पैनल दिये जाएं।
13- तराई पश्चिमी वृत के अंतर्गत तराई-पूर्वी, तराई-केन्द्रीय, तराई पश्चिमी, हल्द्वानी वन प्रभाग तथा रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत बसे वन गुर्जर, गोठ खत्ता वासियों तथा वनग्राम वासियों के खराब पड़े सौर ऊर्जा पैनल व खराब बैटरियों को बदल कर नये दिये जाऐं।
14- जौलासाल खत्ता, हसपुर खत्ता व कड़ापानी खत्ता की पुर्नवास की मांग 2019 से की गई है लेकिन आज तक कार्यवाही नही हुई है। अतः अतिशीघ्र पुर्नवास किया जाए। क्योंकि ये तीनों खत्ते नदी नालों, घने जंगलों से घिरते जा रहे हैं। शेर, बाघ, हाथी, भालू, सुअर घरों तक पहुँच रहे हैं। हमेशा जान-माल का खतरा बना हुआ है। बरसात में 4(चार) माह बाकी दुनिया से इनका सम्पर्क कट जाता है। शासन-प्रशासन द्वारा आजतक कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चे , बूढ़े, गर्भवती महिलाएं गम्भीर बिमारियों के चलते असमय मौत मरते हैं।
15- केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 रद्द किया जाय.