सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस लगाई बुलडोजर पर रोक>>देखे VIDEO

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हज़ारो लोगो की दुआ हुई कबूल

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | एक बड़ी राहत भरी खबर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है जिसमें 7 दिन के भीतर 1 सप्ताह में बनभूलपुरा हज़ारो परिवारों को हटाने की बात कही गई थी | गौरतलब है कि रेलवे अपनी जमीन बता रहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि भूमि किसकी है एवम जब तक इनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक इन्हें ना हटाया जाए

अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया जा चुका है और साथ ही किसी तरह के निर्माण की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है ,सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है , वही बात की जाए आपने देखा कि किस तरह से इस पूरे मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया था ,विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस द्वारा कैंडल मार्च किया गया | सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले पर मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए

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रेलवे भूमि अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को भी नोटिस जारी किया है। अब सात फरवरी तक अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।

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एक हफ्ते में लोगों को हटाना उचित नहीं

अब हल्द्वानी में बुलडोजर नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में लोगों का हटाना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लोगों को बड़ी राहत मिली है। उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे के दावे वाली जमीन से 4500 से ज्यादा परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 4500 परिवारों के आशियानों को फिलहाल नहीं उजाड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50 हजार लोगों को हटाने के लिए केवल एक सप्ताह का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार हो।

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बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ठीक है कि रेलवे वहां सुविधा का विकास करना चाहता है। लेकिन 50 हजार लोगों को इस तरह एक हफ्ते में नहीं हटाया जा सकता है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार हो।