वंदे भारत एवम लंबी दूरी की ट्रेने हल्द्वानी के लिए महज़ स्वप्न ,रेलवे की जमीन खाली कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

वंदे भारत एवम लंबी दूरी की ट्रेने हल्द्वानी के लिए महज़ स्वप्न ,रेलवे की जमीन खाली कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
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HSN * संवाददाता अतुल अग्रवाल > 9927753077 < हल्द्वानी | सूत्रों के अनुसार आज हुई सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट में राज्य सरकार तथा रेलवे ने अपना पक्ष रखा। रेलवे ने कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेन के लिए जगह चाहिए। स्टेशन का भी विस्तार करना है। लेकिन तीनों जजों ने जब पूरा प्लान मांगा और रेलवे के इंजीनियर से इस बारे में ज्यादा डिटेल और रेलवे के दावे वाली ज़मीन के दस्तावेज़ मांगे तो रेलवे के इंजीनियर संतोषजनक दस्तावेज़ तथा फोटो कोर्ट में नहीं दिखा पाए सर्वाेच्च न्यायालय ने रेलवे से कहा कि आपको ज़मीन की ज़रत है तो जनहित याचिका का सहारा क्यों ले रहे हो जिसपर रेलवे की ओर से जवाब दिया गया कि स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन उनकी बात नहीं सुनता केंद्र सरकार द्वारा 2023 में पारित अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए दायर किया गया। क्योंकि विवाद में भूमि के एक हिस्से में रेलवे ट्रैक और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता बताई गई है।

  • रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-ट्रैक और स्टेशन विस्तार के लिए तुरंत ज़मीन की ज़रूरत
  • SC ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार को दिया निर्देश
  • अधिग्रहण के लिए ज़मीन और उससे प्रभावित परिवारों की पहचान करने के निर्देश
  • सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास योजना बनाने के भी दिए निर्देश
  • मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी
  • रिटर्निग वाल बनने से ही सारी समस्या का हल निकल सकता है- मतीन सिद्दीक़ी
  • 2007 से विवादित रेलवे की भूमि के एक हिस्से में रेलवे ट्रैक और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता
  • बुनियादी ढांचे के अलावा निष्क्रिय रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है – रेलवे अधिकारी
  • रेलवे गोला नदी की ओर से बनने वाली रिटाइनर वाल को सही से बनवा दे तो फिर कही भी रेलवे को भूमि की जरूरत नही है- मतीन सिद्दीक़ी
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अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को दर्ज कर लिया है। बताया गया है कि स्टेशन के विस्तार के लिए अतिक्रमित भूमि की आवश्यकता है। इन सुविधाओं के बिना हल्द्वानी रेलवे स्टेशन को चालू नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान पता चला कि रेलवे के स्वामित्व वाली लगभग 30.04 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण होने का दावा किया गया है। कथित तौर पर इस स्थल पर 50,000 से अधिक लोग 4,365 घरों में रहते हैं।

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सुनवाई के दौरान भूमि के एक हिस्से की तत्काल आवश्यकता को प्रदर्शित करने के लिए कुछ वीडियो और तस्वीरें संदर्भित की गईं, जहां अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे के अलावा निष्क्रिय रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सैकड़ों परिवार एक दशक से रह रहे हैं हमने निम्नलिखित कार्य करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया..उन परिवारों की पहचान करना जिनके प्रभावित होने की संभावना है प्रस्तावित स्थल जहां ऐसे प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जा सके। केंद्र और राज्य स्तर पर नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है। हम राज्य के मुख्य सचिवों को रेलवे अधिकारियों और केंद्रीय मंत्रालय के साथ बैठक बुलाने का निर्देश देते हैं। पुनर्वास योजना लायी जाए जो उचित, न्यायसंगत और सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।

पहला ये कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उसकी पहचान की जाए। इसी तरह जिन परिवारों के प्रभावित होने की संभावना है, उनकी तुरंत पहचान की जाए। मामला 11 सितंबर के लिए सूचीबद्ध करते है। हम सभी की बात सुनेंगे और सुझाव मांगेंगे। पहले देखें कि क्या करते हैं।

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आज 24 जुलाई,2024 को माननीय उच्चतम न्यायालय में हल्द्वानी रेलवे प्रकरण के संबंध में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए रेलवे को चार सप्ताह में एक सर्वे कर शपथ पत्र न्यायालय में दाख़िल किये जाने हेतु आदेशित किया गया है जिसमे कितनी लंबाई व चौड़ाई रेलवे को अपने विस्तार के लिए चाहिए साथ सभी रेवेन्यू से संबंधित खेत वा खसरा नंबर लिखे गए हो, और इस में प्रभावित जनता को किस तरह से और कहा पुनर्वास किया जायेगा का भी पूर्ण विवरण उपलब्ध कराए, 11 सितंबर 2024 को सुनवाई की अगली तिथि नियत करते हुए सभी संबंधितों को माननीय न्यायल में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए है।

सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजलविस, प्रशांत भूषण, अक्षत कुमार, कवलप्रीत कौर, रिया यादव, उमेश कुमार आदि व अन्य याचिकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट सिधार्थ लूथरा, सलमान ख़ुर्शीद सरदार संप्रीत सिंह आदि मौजूद रहे।

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