75 वर्षो में पहाड़ो के विकास की हक़ीक़त मूलभूत सुविधाएं जनता से कोसो दूर ?

75 वर्षो में पहाड़ो के विकास की हक़ीक़त मूलभूत सुविधाएं जनता से कोसो दूर ?
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आज के यह हालात इनके झूठे विकास के दावों पर एक तमाचा है |

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ‘ हल्द्वानी | देश को आजादी मिले आज 75 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं एवं उत्तराखंड राज्य को बने आज 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं इतने वर्षों में कई राजनीतिक पार्टियां आई और चली गई कई दिग्गज नेता -मंत्री कैबिनेट- केंद्रीय मंत्री -विधायक -सांसद इस राज्य को मिले जिनके द्वारा चुनावो में वोट लेने के लिये पहाड़ों के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करते हुए सत्ता में काबिज हुए |

परंतु आज के यह हालात इनके झूठे विकास के दावों पर एक तमाचा है |

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यदि बात की जाए तो हमारे कुमाऊं में मंत्रियो को बहुत सी उपाधियों से नवाज़ा गया – पर्वत पुत्र -विकास पुरुष – लौह पुरुष – जो कि केंद्र में वित्तमंत्री ,लोक निर्माण मंत्रालय तक इन्क्वे पास रहे – सबसे बड़ी विडंबना 7 दशक बीत जाने के बाद भी आज हमारे कुमाऊ की जनता को – परिवहन सुविधा सड़के नहीं मिली – जनता को बेहतर स्वास्थ सेवाएं नहीं मिली – वर्ष 2012 से 2017 तक एवं वर्तमान में आज भी हमारे राज्य के माननीय हवा हवाई उड़ते नज़र आते है –

वही जनता को अपने बीमार परिजन को मुख्य मार्ग तक लाने के लिए कई किलोमीटर कंधे पर उठाकर लाना पड़ता है – अभी विधानसभा 2022 के चुनावो से पूर्व निवर्तमान – पहाड़ो के गाध , गधेरो में भ्रह्म्ण करते नज़र आ रहे थे | परन्तु इन्ही माननीय ने अपने कार्यकाल में

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पहाड़ की जनता को मूलभूत सुविधाएं – सड़के , स्वास्थ सेवाएं – शिक्षा देने के लिए धरातल पर कितने कार्य ? यही हाल प्रदेश की वर्तमान सरकार कर रही है केवल हवा हवाई दौरे , हवा हवाई घोषणाये धरातल पर न निवर्तमान न ही वर्तमान सरकार के द्वारा मूलभूल सुविधाओं के लिए कार्य किय जा रहे है ,

हमारे कुमाऊं से बड़े-बड़े कैबिनेट मंत्री लोकसभा में पहुंचे और उनके द्वारा बड़ी-बड़ी घोषणाएं बड़े-बड़े दावे पहाड़ में रहने वाली जनता से किए गए सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है राजनीति पहाड़ों से बड़े-बड़े आलिशान बंगले – दिल्ली – देहरादून और हल्द्वानी में तो कैसे होगा पहाड़ों का विकास आज 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी पहाड़ों में ऐसे स्थान भी हैं जहां जनता के लिए एक सड़क भी नहीं बना सके बड़े-बड़े दिग्गज मंत्री आज भी पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दे सके बड़े-बड़े कैबिनेट मंत्री भी केवल सत्ता की मलाई खाने के दलबदल की राजनीती करते नज़र आये