21 नवंबर को संसद के सामने भरेंगी हुंकार प्रदेश की आशा “अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली

21 नवंबर को संसद के सामने भरेंगी हुंकार प्रदेश की आशा “अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली
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• आशा समेत सभी स्कीम वर्कर्स को पूरे देश में एकसमान नियमित वेतन और पेंशन की गारंटी करो!
• हल्द्वानी ब्लॉक से सभी आशायें दिल्ली रैली में शामिल होंगी

आशा नेताओं ने बताया कि यह राष्ट्रीय रैली मुख्यतः निम्न मांगों पर हो रही है:
• आशा समेत सभी स्कीम वर्कर्स को नियमित वेतन और पेंशन की गारंटी करो!
• सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो!
• पूरे देश में एकसमान वेतन 28000 रुपये, सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करो!
• सरकारी स्कीमों (एनएचएम, मिड-डे मील,आईसीडीएस, आदि) का निजीकरण/एनजीओकरण बंद करो!
• स्कीम वर्कर्स के लिये काम के घंटे तय करो!
• कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक शोषण को रोकने के लिए जेंडर सेल का गठन करो!

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय आह्वान पर 21 नवंबर को आशाओं और स्कीम वर्कर्स की संसद के समक्ष “अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली और महाधरना किया जायेगा. जिसमें पूरे देश की आशाओं और स्कीम वर्कर्स द्वारा भागीदारी की जायेगी.

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“अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली की तैयारी में उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू की हल्द्वानी ब्लॉक स्तरीय मीटिंग महिला अस्पताल हल्द्वानी में सम्पन्न हुई.

बैठक को संबोधित करते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “आशाओं को सरकारों ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है. आशाओं के प्रति ‘जमकर लेंगे काम और नहीं मिलेगा पूरा दाम और सम्मान’ आखिर कब तक चलेगा. आशाओं पर काम का बोझ लगातार बढ़ाया जा रहा है लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार आशाओं को वर्कर मानकर न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है इसके उल्टा केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का बजट कम कर दिया है और एनएचएम के निजीकरण और एनजीओकरण की तैयारी की जा रही है. इसलिये पूरे देश की आशाओं ने एकताबद्ध होकर दिल्ली में संसद के सामने एकत्र होकर अपने अधिकार और सम्मान के लिए मांग उठाने का फैसला लिया है. उत्तराखंड की आशायें भी देश भर की आशाओं और स्कीम वर्कर्स के साथ एकजुटता स्थापित करते हुए बड़ी संख्या में दिल्ली रैली में शामिल होंगी.”

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उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की हल्द्वानी अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि,”मातृ शिशु सुरक्षा के काम के लिए भर्ती की गई आशाओं के कंधों पर मातृ शिशु सुरक्षा के साथ साथ पल्स पोलियो अभियान,मलेरिया, डेंगू सर्वे, परिवार नियोजन, कोरोना, आपदा प्रशिक्षण, टीकाकरण से लेकर ओआरएस, बुखार की दवा बांटने आदि तक स्वास्थ्य विभाग की सारी योजनाओं और सर्वे का बोझ लाद दिया गया है लेकिन महिला सशक्तिकरण के विज्ञापनों पर अरबों रुपये खर्च करने वाली सरकार आशाओं को वेतन और कर्मचारी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है. यह आशाओं का शोषण नहीं तो और क्या है? यह शोषण उत्पीड़न अब नहीं चलेगा. “

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मीटिंग में ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय, हल्द्वानी अध्यक्ष रिंकी जोशी के अतिरिक्त सायमा सिद्दीकी, मुमताज, नीमा, हेमा शर्मा, पूनम देवी, रुखसाना, कमला बोरा, मीनू चौहान, चंपा मंडोला, गीता देवी, फरहीन, शोभा गोस्वामी, तनुजा तिवारी, अनीता, गीता बोरा, कमला आर्य, रोशनी आर्य, छाया, हुमेरा, सुमाइला, आशा बिष्ट आदि बड़ी संख्या में आशायें मौजूद रहीं.