संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |



पूरे उत्तराखंड में वर्ष 2020 तक मात्र 746 स्टाफ नर्स
प्राइवेट हॉस्पिटल में बहुत संख्या में स्टाफ नर्सेज जिनके पास कोई नर्सिंग डिग्री नहीं
हल्द्वानी | उत्तराखंड बने हुए आज 22 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी उत्तराखंड के अस्पतालों में नर्सेज की स्थिति बहुत ही दयनीय है पूरे उत्तराखंड में वर्ष 2020 तक मात्र 746 स्टाफ नर्स थी जो कि ना के बराबर है यह आरटीआई के द्वारा मांगी गई जानकारी है
सरकार आईपीएचएस (इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड)के मानकों की बात करती है लेकिन किसी भी अस्पताल में आईपीएचएस के मानक लागू नहीं किए गए हैं आज से 2 साल पहले 12 दिसंबर 2020 को सरकार ने नर्सेज के 2621 पदों पर भर्ती निकाली उस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा था उस समय कोरोना की पहली लहर थी और उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में नर्सेज की स्थिति बहुत ही दयनीय थी उसके बाद दूसरी लहर आई फिर भी सरकार ने नर्स की नियुक्ति नहीं की फिर तीसरी लहर आई सरकार ने फिर भी नर्सेज की नियुक्ति नहीं की अब चौथी लहर दस्तक दे चुकी है लेकिन नर्सेज के 2 साल पहले निकले पदों को भरने के लिए आज भी सरकार सोई हुई है उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाएं इस कदर बिगड़ चुकी है जिस को संभालना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है नेता मंत्री अपना इलाज कराने के लिए दिल्ली या फिर विदेशों में चले जाते हैं क्योंकि उनको पता है उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल खत्म हो चुकी है लेकिन यहां का आम जनमानस कहां जाएगा उसको यही अपनी स्वास्थ सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना एलिंग वैलफेयर नर्सेज फाउंडेशन पिछले कई सालों से नर्सेज की भर्ती के लिए लगातार आंदोलन और धरने कर रहा है प्राइवेट अस्पतालों में नर्सेज की स्थिति और भी बद से बदतर है सरकार प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोई भी नियम नहीं बनाती है

जिससे प्राइवेट अस्पतालों में काम कर रहे नर्सेज का बहुत ज्यादा शोषण हो रहा है प्राइवेट अस्पतालों में नर्सेज से 10 से 12 घंटे काम लिया जाता है जितने भी प्राइवेट हॉस्पिटल हैं सभी में बहुत अधिक संख्या में फर्जी स्टाफ नर्सेज को रखा गया है जिनके पास ना तो नर्सिंग की कोई डिग्री है और ना ही कोई डिप्लोमा है इसकी शिकायत सीएमओ नैनीताल से भी की गई लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई सीएमओ द्वारा उत्तराखंड में अगर स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करनी है तो सरकारी अस्पतालों में आईपीएस के मानकों के अनुसार भर्तियां करवानी पड़ेगी और उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पतालों में आईपीएचएस के मानक तथा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करवाना पड़ेगा और यह सरकार के हाथ में होता है सरकार चाहे तो उत्तराखंड के स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत बेहतर हो सकती है बस जरूरत है तो एक सही डिसीजन की
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