
हालात-ए-शहर ( अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | बाजार क्षेत्र में व्यापारियों एवं आम जनमानस की सुविधा के मद्देनजर नगर निगम हल्द्वानी के द्वारा आधुनिक सुलभ शौचालय मीरा मार्ग का लोकार्पण वर्ष 2015 में नेता प्रतिपक्ष स्व0 डॉ इंदिरा हृदयेश ,नैनीताल जिला अधिकारी दीपक रावत ,नगर निगम मेयर जोगेन्द्र रौतेला के कर कमलों के द्वारा किया गया था वही लाखों रुपए की लागत से व्यापारियों के वाहन खड़े करने हेतु पार्किंग स्थल भी बनाया गया था




इस स्थान पर निवर्तमान समय में सिंचाई विभाग द्वारा संचालित पंचक्की हुआ करती थी जहां शहर की आम जनता आटा पीसाने का कार्य कराने आया करती थी लेकिन सिंचाई विभाग की नहरों पर अवैध निर्माण होते गए धीरे धीरे नहरों का अस्तित्व खत्म होता गया वही पंचक्की का अस्तित्व समाप्त हो गया नहरों में जल का प्रवाह खत्म होते ही अतिक्रमणकारियों के द्वारा सिंचाई विभाग की नहरों के ऊपर अवैध निर्माण हावी होता चला गया वही बाजार क्षेत्र एवं आम जनता की सुविधाओं हेतु पंचक्की के स्थान पर सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया जोकि लाखों रुपए लागत से बनाया गया


आज के हालात इतने बद से बदतर हो चुके हैं कभी भी कोई भी हो सकता है कोई बड़ा हादसा आज हमारे द्वारा इस शौचालय मैं पहुंच कर जांच पड़ताल की गई जिसके दौरान पाया गया सुलभ शौचालय ध्वस्त होता जा रहा है शौचालय की बुनियाद अपनी जगह छोड़ चुकी है वही शौचालय परिसर में कर्मचारियों के कमरे में फर्श बैठ चुका है टाइलों के नीचे से मिट्टी खत्म हो चुकी है वही सुलभ शौचालय में आने वाले आमजन का कहना है कि आखिर कब तक जनता के पैसों की बर्बादी होती रहेगी अभी कुछ ही वर्ष पूर्व जो यह शौचालय बनाया गया था आज जर्जर हालत में पहुंच चुका है कभी भी किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है बड़ा हादसा इसका जिम्मेदार कौन शासन प्रशासन कार्यदायिनी संस्था या जिनके द्वारा निर्माण से पूर्व इसकी योजना का खाका तैयार किया गया


हमारे द्वारा नगर निगम हल्द्वानी के क्षेत्र में संचालित सुलभ शौचालय में जाकर कुछ व्यक्तियों से बात की गई नाम उजागर ना करने की शर्त पर उनके द्वारा बताया गया कि हल्द्वानी के समस्त सुलभ शौचालय एक निजी कंपनी को संचालित करने हेतु नगर निगम के द्वारा दिए गए हैं कंपनी के ठेकेदार के द्वारा कुछ व्यक्तियों को इस शौचालय को चलाने के लिए कार्य करने हेतु रखा जाता है लेकिन उनके द्वारा जो हमको बताया गया बहुत ही सोचनीय विषय है किसी भी कर्मचारी का मानदेय निर्धारित नहीं है जितना काम होता है 1 महीने में ठेकेदार के द्वारा एकत्रित धनराशि पर कुछ प्रतिशत कमीशन बेस के आधार पर मेहनताना दिया जाता है कर्मचारी के द्वारा बताया गया ठेकेदार द्वारा हमारा पूरी तरह शोषण किया जा रहा है वही कर्मचारी ने बताया हम अन्य राज्यों से यहां काम की तलाश में आते हैं वही ठेकेदारों के द्वारा काम के नाम पर ठेकेदारी प्रथा के द्वारा हमारा शोषण किया जाता है

आखिर इतनी लचर व्यवस्थाओं की ज़िम्मेदारी किसकी


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