
हालात-ए-शहर ( संवाददाता अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | पिछले कुछ हफ्तों से उत्तराखंड में भू कानून का हल्ला सुनाई दे रहा है, भू कानून मेरे समझ से परे की चीज है… इसकी कुछ वजहें हैं जिसकी वजह से ये माँग मुझे अजीब लगती है,पहली हम वही लोग हैं जो अभी कुछ समय पहले कश्मीर में जब धारा 370 थी तो हम विरोध करते थे हम कहते थे कश्मीर को आजाद होना चाहिए हर किसी को वहाँ जमीन खरीदने का अधिकार होना चाहिए पूरा भारत एक है






वही आज हम कह रहे हैं कि उत्तराखंड में कोई जमीन नहीं खरीद सकता ऐसा कानून बनना चाहिए भावनात्मक तौर पर ये बात शायद ठीक हो भी जाये मगर दूसरे सभी पहलूओं पर मुझे ये बात बहुत अटपटी सी लगती है…अमेरिका जैसा सुपरवावर देश जहां सब लोग पराये मुल्कों से गये हैं सबने मिलकर उसे बुलन्दी पर पहुँचाया…विदेश की ओर ना जाकर अगर हम अपने देश की ही बात करें तो महाराष्ट्र में कुछ समय पहले जब बाहरी राज्य के लोगों को पीटा जाता था तो हम क्यों कहते थे महाराष्ट्र किसी के बाप का नहीं है

आपके हिसाब से चलें तो वहाँ के कुछ अराजक तत्व एकदम सही काम कर रहे थे ।
भू कानून का समर्थन करने वाले लोग क्या चाहते हैं देश फिर से छोटी-छोटी रियासतों में बदल जाये ? असल में वो ऐसा कुछ नहीं चाहते वो बस कुछ लोगों के कंधों पर चढ़कर मीडिया/ शोसल मीडिया पर अटेंशन चाहते हैं ताकि उन्हें स्थापित होने में मदद मिले अगर स्थापित हैं तो उनका प्रभाव बढ़े । मुझे हमेशा लगता है कुछ लोग जो झंडा उठाये हुये दिखते हैं उन्हें हमेशा अपना डंडा ऊँचा करना होता है बहुत कम मामलों में उन्हें विचारों से मतलब होता है

एक और महत्वपूर्ण बात जमीन बेच कौन रहा है और जो बेच रहा है वो “क्यों” बेच रहा है पर ध्यान देने की जरूरत है ।
मान लीजिए आ गया भू कानून तो सब सही हो जायेगा मुझे नहीं लगता उल्टा मुझे लगता है अभी हम उत्तराखंड बनाम बाहरी की लड़ाई लड़ रहे हैं फिर आप कुमाऊँनी गढ़वाली करने लगेंगे कुछ समय बाद ब्राह्मण ठाकुर खेलने लगेंगे उससे मन भरेगा तो बड़े ब्राह्मण छोटे ब्राह्मण बड़े ठाकुर छोटे ठाकुर खेलने लगेंगे तो इस बेकार बातों में ना उलझकर कोशिश कीजिये आपको समस्या समझ में आये क्या आपको लगता नहीं हम देवभूमि में रहते हैं और देवभूमि में “शराब और दूसरे नशे” पूरी तरह से बन्द होना चाहिए
क्या आपको नहीं लगता कि बन्द हो चुके सरकारी स्कूलों के लिए आपको आवाज उठानी चाहिए क्या आपको नहीं लगता जो गरीब बच्चे इस लॉकडाउन में इंटरनेट और फोन के अभाव के कारण शिक्षा से दूर हैं आपको उनके लिए आवास उठानी चाहिए …मुझे उम्मीद है आप मेरी लिखी बातों को आत्मसात करेंगे और जब कोई आपसे कहेगा “उत्तराखंड माँगे भू कानून” तो आप उससे जरूर पूछेंगे “उत्तराखंड क्यों माँगे भू कानून” सबसे बड़ी समस्या यही है क्या बाकी सारे मसले सुलझ गए क्या ?

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