प्रदेश के पूर्णकालिक स्वास्थ्य मंत्री हॉस्पिटलों में जरूरती उपकरण, बेहतर स्वास्थ सेवाओं के कैसे बचाओगे जिंदगियां सरकार :आप

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.NEWS हालत-ए-शहर ( अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुए आप प्रदेश प्रवक्ता समित टिक्कू ने प्रेस रिलीज़ जारी कर राज्य सरकार की स्वास्थय सेवाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि, इस महामारी में राज्य सरकार महज 724 वेंटिलेटर की व्यवस्था के सहारे कोरोना की जंग लड़ने की तैयारी में है जो बढ़ते संक्रमण के दरों को देखते नाकाफी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के सभी दावे पूरी तरह फेल साबित हो रहे रोजाना लगभग 5 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं और मरने वालों की तादात भी बढ़ती जा रही है।

आप प्रवक्ता समित ने बताया कि अब कोरोना की दूसरी लहर दौड रही है जो पहली लहर से भी ज्यादा घातक और खतरनाक है। सरकार को इसकी रोकथाम के लिए अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी लेकिन सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। सरकार के मुखिया के पास स्वास्थ्य मंत्रालय है और सूबे में इस समय फुल टाइम स्वास्थ्य मंत्री की नितांत जरूरत है लेकिन सरकार कोरोना को लेकर संवेदनहीन दिखाई दे रही है। सूबे के सभी जिलों में वेंटिलेटर की कमी से मरीज मरने को मजबूर हैं । कहीं वेंटिलेटर हैं तो ऑपरेटर नहीं,कहीं गोदामों में वेंटिलेटर और हाई सिक्योरिटी बेड धूल फांक रहे हैं । अकेले अल्मोड़ा काशीपुर,हल्द्वानी,हरिद्वार और रुड़की में रोजाना कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन और बेड के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद बेड नहीं मिल रहे जो सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है।

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आप प्रवक्ता ने बताया कि सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि सब बेहतर है लेकिन जमीनी हकीकत में बहुत फर्क है सरकारी दावों की माने तो राज्य में इसके इलाज के लिए 38 कोविड अस्पताल और 415 कोविड केयर सेंटर हैं। जहां पर लगभग 31 हजार आईसोलेशन बेड हैं। कुल ऑक्सीजन बेड की क्षमता भी 3317 है, इनमें से 555 बेड पर कोरोना संक्रमित भर्ती हैं। इसी तरह आईसीयू बेड की संख्या 815 है। इनमें से 119 आईसीयू बेड पर संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए 724 वेंटिलेटर प्रदेश में उपलब्ध हैं, इसमें वर्तमान में 18 वेंटिलेटरों पर मरीज हैं। सरकारी आंकड़ों को देखकर लगता है सब ठीक है लेकिन हालत उसके उलट हैं जहां एक मरीज अपने भाई की जान बचाने को लेकर 7 अस्पतालों के चक्कर काट काट कर थक जाता है लेकिन उसको बेड नहीं मिलता और उसको इसके एवज में अपनी भाई की मौत से चुकाना पड़ता दूसरी तरफ अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत पर दूसरा इंतजार कर रहा मरीज उम्मीद पालता है कि अब उसको बेड मिल जाए। ये तमाम सवाल हैं जो सरकार की कोरोना व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा करती है।

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आप प्रवक्ता ने कहा, प्रदेश के मुख्यमंत्री क्यों लोगों के जीवन के प्रति गंभीर नही हो रहे हैं। डबल इंजन कहने वाली सरकार का इंजन आखिर पहाडों में क्यों हांफ रहा है। क्या पहाड के लोगों से केन्द्र और राज्य सरकार सौतेला व्यवहार नहीं कर रही है। हर राज्य की सरकारें जनता के लिए जी जान से जुटी हुई हैं लेकिन उत्तराखंड में बढते आंकडे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। उत्तराखंड में संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर राष्टीय औसत से भी ज्यादा है। प्रदेश में कोरोना मृत्यु दर 1.41 प्रतिशत है,जबकि राष्टीय स्तर पर 1.13 प्रतिशत है। बीते 5 दिनों में 250 लोगों से ज्यादा इस महामारी में अपना जीवन गंवा चुके हैं।
आप प्रवक्ता समित टिक्कू ने बताया कि पहाडों में पहले से ही स्वास्थय सेवाओं का टोटा बना हुआ था और अब कोरोना काल में तो हालात और भी ज्यादा भयावाह हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जब एक कैबिनेट मंत्री को अपने रिश्तेदार को अस्पताल में बेड दिलाने के लिए नाकों चने चबाने पड गए तो आम आदमी की क्या बिसात है। क्या सरकार को ये सब दिखाई नहीं दे रहा है। राज्य सरकार सिर्फ विज्ञापनों के माध्यम से वाहवाही लूटने का काम कर रही है जबकि हकीकत से जनता अंजान नही है। उन्होंने कहा कि जनता में त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है.

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प्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ने से सक्रिय मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिससे अस्पतालों में कोविड इलाज का दबाव बढ़ रहा है। ऑक्सीजन,इंजैक्शन जैसी बुनियादी चीजों की कालाबाजारी हो रही है। कई लोग दवाइयां और इलाज ना मिलने की वजह से दम तोड चुके हैं। ऐसे में अगर अब भी सरकार ने फौरन बेहतर इंतजाम नही किए तो हालात और भी ज्यादा बद्तर हो जाएंगे। इसलिए सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इंजैक्शन, ऑक्सीजन के साथ साथ वेंटिलेटर जैसे उपकरणों को आयात किया जाए ताकि जनता को इस महामारी से बचाया जा सके।

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