शहर के बैंको में नही पार्किंग व्यवस्था जुर्माना भरने को रहे तैयार

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हालात-ए-शहर – संवाददाता अतुल अग्रवाल – हल्द्वानी – हमारे द्वारा शहरी क्षेत्र में संचालित हो रहे बैंक परिसरों में समुचित वाहन पार्किंग व्यवस्था के मद्देनज़र जाँच पड़ताल करने पर ज्ञात हुआ कि शहर के कई बैंको में नहीं है उपभोक्ताओं के लिए उचित पार्किंग व्यवस्था जिसका खामियाज़ा भरने के लिए उपभोक्ताओं को करनी पड़ती है जेब ढीली , जानकारी के मुताबिक़ किसी भी व्यवासिक भवन निर्माण से पूर्व जिला विकास प्राधिकरण एवं संबंधित विभागों से व्यवासिक भवनों के निर्माण से पूर्व मानचित्र बनाना अनिवार्यता है मानचित्र के अनुसार व्यावासिक भवनों में पार्किंग स्थल अनिवार्यता है लेकिन वही देखने को मिलता है कि भवन स्वामी के द्वारा मोटी रकम कमाने के लालच में भवन निर्माण से पूर्व मानचित्र में पार्किंग दर्शाई जाती है | परंतु बाद में वही पार्किंग स्थल को मोटी रकम कमाने के लालसा में दुकानों में तब्दील कर दिया जाता है ,फिर शुरू होता है खेल मोटी रकम कमाने का जिसका खामियाजा ना आम जनता को भुगतना पड़ता है

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किसी भी व्यवासिक भवन निर्माण से पूर्व जिला विकास प्राधिकरण एवं संबंधित विभागों से व्यवासिक भवनों के निर्माण से पूर्व मानचित्र बनाना अनिवार्यता है मानचित्र के अनुसार व्यवहारिक भवनों में पार्किंग स्थल अनिवार्यता है लेकिन वही देखने को मिलता है कि भवन स्वामी के द्वारा मोटी रकम कमाने के लालच में भवन निर्माण से पूर्व मानचित्र में पार्किंग दर्शाई जाती है | परंतु बाद में वही पार्किंग स्थल को मोटी रकम कमाने के लालसा में दुकानों में तब्दील कर दिया जाता है ,फिर शुरू होता है खेल मोटी रकम कमाने का जिसका खामियाजा ना आम जनता को भुगतना पड़ता है

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बैंकों में खातेदार को को अक्षर लेनदेन करने के लिए बैंकों में जाना पड़ता है लेकिन पार्किंग स्थल ना होने के कारण नो पार्किंग जोन में गाड़ी खड़ी करने पर पुलिस एक्ट के द्वारा चालान काटे जाते हैं जिसकी रकम उपभोक्ता की जेब से निकलती है| वही बात की जाए अक्सर शासन प्रशासन द्वारा समय समय इनके खिलाफ पर कार्यवाही भी की जाती है , विगत पूर्व में प्रशासन द्वारा कुछ व्यावसिक भवनों को सील भी किया गया था , परन्तु आज भी स्तिथि जस की तस दिखाई देती है |

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सबसे अहम सवाल
जहां एक और शासन प्रशासन पार्किंग व्यवस्था को लेकर काफी गंभीर दिखाई देता है वहीं दूसरी ओर व्यवासिक भवनों बैंकों इत्यादि में पार्किंग ना होने के कारण इसका खामियाजा ना आम जनता को भुगतना पड़ता है – आखिर कब तक भवन स्वामी की लापरवाही का खमियाज़ा उपभोक्ताओं को भरना होगा

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