जब बच्चो को अंग्रेज बनाने की ठान ही ली है तो किताबो ड्रेस फीस का भुगतान तो करना ही पड़ेगा हल्ला हल्ला हल्ला ?
प्राइवेट ( निजी ) स्कूलों में अपने बच्चो के एडमिशन के लिए माननीयो अधिकारियो से सोर्स लगवाते हुए नज़र आते है
सीधी बात पहले बच्चो के एडमिशन के लिए माननीयो \ अधिकारियो की चौखट पर पहुंचते है , फिर महंगी शिक्षा का रोना रोते है ???
हल्द्वानी के 13, रामनगर के चार, नैनीताल के दो और कोटाबाग के एक स्कूल में किताबों के नाम की जा रही मनमानी
केवल नोटिस देकर अति श्री होगी या सख्त कारवाही भी होगी
स्कूलों के चिह्नित के नाम पर कही अभिभावकों को गुमराह करना तो ?
विगत पिछले कई वर्षो से निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर आदेश होते है पारित कार्यवाही ?
प्री नर्सरी, नर्सरी व एलकेजी के बच्चों के किताबों का एक सेट का खर्चा 5 से 10 हजार रुपए
पब्लिक स्कूलों की इन्हीं मनमानी और लगातार मिल रही शिकायतों और शासन से मिले आदेश को देखते हुए
शनिवार को शिक्षा विभाग की टीम ने जिले भर में स्कूलों का किया निरीक्षण
20 स्कूल ऐसे मिले, जिन्होंने पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगाई
अभिभावकों की शिकायत और शासन से मिले निर्देश के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ
विभाग की माने तो जल्द ही इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” HS NEWS ” हल्द्वानी | विगत पिछले कई वर्षो से स्कूलों के नए सत्र प्रारम्भ होते ही अभिभावकों से सुर प्राइवेट निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ उग्र हो जाते है आखिर क्यों | यदि बात की जाये निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जो आक्रामक होते हुए निजी स्कूलों की महँगी फीस – किताबो – ड्रेसों अन्य शुल्कों का रोना रोते हुए छाती पीटते हुए हल्ला करते है , ये वही होते है जो अपने मासूमो को अंग्रेज बनाने की चाहत रखते हुए प्राइवेट ( निजी ) स्कूलों में अपने बच्चो के एडमिशन के लिए माननीयो अधिकारियो से सोर्स लगवाते हुए नज़र आते है , सीधी बात पहले बच्चो के एडमिशन के लिए माननीयो \ अधिकारियो की चौखट पर पहुंचते है , फिर महंगी शिक्षा का रोना रोते है ???
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नए शिक्षण सत्र की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें भी लगातार सामने आने लगी हैं। एनुअल फीस, टूशन फीस आदि तमाम तरह की फीस के नाम पर खुल्लेआम मनमानी की जा रही है। वहीं कई स्कूल शासन और शिक्षा विभाग को ठेंगा दिखाते हुए एनसीईआरटी किताबों के बजाय अभिभावकों से निजी पब्लिकेशन की महंगी किताबें मंगा रहे हैं। जिसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। पब्लिक स्कूल की मनमानी का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि सिर्फ प्री नर्सरी, नर्सरी व एलकेजी के बच्चों के किताबों का एक सेट का खर्चा 5 से 10 हजार रुपए आ रहा है। पब्लिक स्कूलों की इन्हीं मनमानी और लगातार मिल रही शिकायतों और शासन से मिले आदेश को देखते हुए आखिरकार शिक्षा विभाग को कुंभकरणी नींद से जागना पड़ा है। शनिवार को शिक्षा विभाग की टीम ने जिले भर में स्कूलों का निरीक्षण किया। जिसमें करीब 20 स्कूल ऐसे मिले, जिन्होंने पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगाई हैं। विभाग ने इन स्कूलों को चिह्नित कर नोटिस थमाया है।
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अभिभावकों की मानें तो शहर के कई निजी स्कूलों की ओर से मंगाई जाने वाली प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें उनकी जेब ढीली कर रही हैं। एनसीईआरटी की किताबों के मुकाबले निजी पब्लिशर्स की किताबों की कीमत कई ज्यादा हैं। जबकि नियमानुसार यदि कोई स्कूल निजी पब्लिशर्स की किताबें मंगाते हैं तो उस किताब की कीमत
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एनसीईआरटी की किताबों की कीमत के बराबर होनी चाहिए। लेकिन तमाम मुद्दों के उलट निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है। जबकि शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारी इस ओर से आंखें बंद कर बैठे हैं। अभिभावकों की शिकायत और शासन से मिले निर्देश के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ है। शनिवार को जिले में शिक्षा विभाग की 13 टीम ने स्कूलों का निरीक्षण किया और एनसीईआरटी और निजी पब्लिकेशन की किताबों को लेकर जांच की गई। जिले में 49 स्कूलों का निरीक्षण किया गया, जिसमें 20 स्कूल ऐसे पाए गए जो पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगा रहे थे। इनमें हल्द्वानी के 13, रामनगर के 4, नैनीताल के 2 और कोटाबाग के एक स्कूल में किताबों के नाम पर मनमानी सामने आई है। विभाग ने इन स्कूलों को चिह्नित कर लिया है और विभाग की माने तो जल्द ही इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई
निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर प्राप्त हो रही शिकायतों के बाद शनिवार को जिले में 13 टीम ने स्कूलों का निरीक्षण कर एनसीईआरटी और निजी पब्लिकेशन की किताबों को लेकर जांच की है, जो भी निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगा रहे थे उन स्कूलों को चिह्नित कर लिया है। जल्द ही इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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