नीतियां नही प्रलोभन का ताना बाना बुन दलबदल की राजनीति चरम पर



अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |

जैसे जैसे वोटिंग का दिन नज़दीक आ रहा है , छूटभय्या नेताओ के दिन खुशहाल होते जा रहे है , कल तक जिनको पानी पी पी कर कोसते थे आज उन्ही के साथ माला पहन फ़ोटो खिंचाते हुए दिखाई दे रहे है , इसको मुहाबरे के तौर पर भी बोल सकते है

- अपना काम बनता , भाड़ में जाये ??? *
आज व्यक्ति केवल अपने स्वार्थों , ऐशोआराम की जीवन शैली के लिए साथ खड़ा है , इनको इस बात से कोई सरोकार नही कि आज जिसके साथ हम कदम से कदम मिलाकर चलने बात करते हुऐ उनको छोड़ आये है , जिनके साथ लम्बे समय से थे जब उनके नही हुए तो आज जिनके साथ दीवार की तरह खड़े होने की बाते कर रहे है कैसे भरोसा किया जाये
कुछ तो इतनी महान विभूतिया है , जिनको पिछले कई वर्षों से सभाओं मीटिंगों चौपालों में खुलेआम आलोचनाएं करते सुना और देखा है
यहां तक कि निकम्मा नकारा तक बोल दिया
ऐसे व्यक्तियों के द्वारा यहां तक लगाए गए आरोप की शहर को नरक बना दिया

परन्तु इतनी आलोचनाएं करने वाले आज उन्ही के साथ हंसते हुए अखबारों की सुर्खियां बटोरने में लगे है , इनके आका विजय हुए तो भी मौज पराजय हुए तब भी मौज , विजय होने पर वही काम करना है नाली , खड़ंजा , पुलिया आका पराजय हुये
स्वतः छमा प्रार्थी मांगते हुये पुराने घर वापसी कहा जाए तो
आजकल छूटभय्या सीनियर लीडर शिप के पद चिन्हों पर चल रहे है
जैसे उनको हर 4साल 8 महीने बाद पार्टी की नीतियां प्रभावित करती है
ये नीतियां नही प्रलोभन का ताना बाना बुन दलबदल की राजनीति चरम पर

सीधी बात क्या चुनाव आयोग को मामले को संज्ञान में लेते हुए , एक प्रस्ताव पारित करना चाहिये कि जो भी नेता चुनावो से 6 महीने पहले दलबदल करेगा ऐसे नेता को चुनाव आयोग द्वारा दावेदारी के लिए अयोग्य मानते हुए किसी भी पार्टी एव निर्दलीय चुनाव लड़ने की सहमति कम से कम 10 वर्षो तक प्रतिबंधित होगी
जिससे एक ओर जहां खरीदफरोख्त की राजनीति खत्म होगी वही नेताओ को भी जनता की ताकत वोट का महत्व समझ आयेगा ,
क्या जनता केवल इस लिए है इनको वोट दे ये समझ कि हमारे जनप्रतिनिधि बेहतर कार्य करेंगे परन्तु जनता के भरोसे को तिनके की तरह बिखेर देते है ये नेता कभी इनका दम घुटता है , कभी विचारधारा पसन्द आती है , कभी पार्टी से टिकट नही मिलता

जनता का कहना है कि भारत सरकार एवम चुनाव आयोग को दलबदल की राजनीति पर तत्काल अंकुश लगाने के लिए ठोस कारगर कदम उठाने चाहिये
तभी लोकतन्त्र स्वतन्त्र रहेगा
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