सरकारी विभागों की मिलीभगत या माननीयो के संरक्षण के परिणाम आधे घंटे की बरसात में शहर पानी पानी





संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | महानगर हल्द्वानी प्रत्येक वर्ष मानसून की बारिश में ताल तलैय्या बनकर कहर ढाता है , आइये आज इसके तथ्यों को उजागर करते है | 1990 के दशक में इसी 59 विधानसभा हल्द्वानी में

काठगोदाम से तीनपानी बरेली रोड – पंचायत घर बरेली रोड एवम नैनीताल रोड से वर्कशॉप लाइन होते हुए , प्रेम टॉकीज रोड ,मटर गली ,बाजार छेत्र से सिंचाई विभाग की नहर सुचारु रूप से खुली थी ,सिंचाई विभाग के द्वारा कई स्थानों पर जाल लगाए गए थे ,बरसातों में जब गौलानदी में बरसातों के चलते पेयजल सप्लाई वाधित होने पर बाजार छेत्र की जनता इसी नहर के पानी का उपयोग करती थी


बात की जाए तो बरसाती नहर से निकलने वाली नहर मटर गली में खुली थी , इसी नहर से एक गूल व्यामशाला होते हुए , राममंदिर , डी के पार्क , रामलीला मैंदान के निकट होते हुए आगे जाती थी ,वही मटर गली में ,भैरव चौक मंदिर के निकट नहर खुली थी आज अवैध कब्ज़ा कर दुकाने बना ली गई , महावीर गंज में पनचक्की इसी नहर के पानी से स्वाचालित थी इसके ऊपर भी बड़ी बड़ी दुकाने बना दी गई , पनचक्की जिसके ठीक सामने नहर के ऊपर एक विशाल जाल सिंचाई विभाग के द्वारा लगाया गया था , समय बदलता गया शहर में आबादी व्यापारी बढ़ते गए फिर शुरू हुआ नहरों पर अतिक्रमण का खेल – प्रेम टाकीज से लेकर बरेली रोड तक नगर पालिका \ नगर निगम के द्वारा फड़ो की तहबाजारी की रसीद पर नहर पर

अतिक्रमणकारियों ने माननीयो की शह एवम नगर पालिका की मिलीभगत से नहरो पर बहुमंजिले व्यावासिक प्रतिष्ठान बना लिये कुछ ने लाखो रुपयों में बेंच भी दिये , इसी कड़ी में हाईडिल गेट के निकट एक विशाल व्यावासिक मॉल बनाया गया , निर्माण कार्य के दौरान नहर में अतिक्रमण कर दिया गया जिसके फल स्वरूप आज आधे घंटे की बारिश में सबसे अधिक पानी की निकासी सड़को पर वही से होती है



सबसे अधिक सिंचाई विभाग की नहर पर अतिक्रमण प्रेम टाकीज रोड से मटर गली तक निवर्तमान में नगर पालिका से तह बाज़ारी की रसीद के आधार पर नहर


महावीर गंज में नहर के ऊपर टीन शेड डाल एक राजनैतिक पार्टी का कार्यालय बना दिया गया था ,आज वहा दुकाने बनाकर मोटी धनराशि में बेच दी गई है या मोटे किराएदारी पर बाहरी लोगो को दे दी गई है —

सबसे बड़ा सवाल यही है जब सम्पूर्ण नहरों \ नालो \गूलों पर अवैध निर्माण कर भवन , व्यावासिक प्रतिष्ठान बना दिये गये , तो बरसातों में पानी की निकासी कैसे होगी ,


रही सही कमी महानगर हल्द्वानी की नहरों \ नालो को ( कवर ) पाट दिया गया , जिसके कारण आजतक सफाई भी नहीं हुई क्योकि कवरेज नहरों में सफाई कर्मचारियों का जाना सम्भव नहीं , अत्याधिक कूड़ा फसे होने की स्थिति में बरसातों में पानी नहरों से बहते हुए सड़को पर आता है

शहर हो जाता है जलमग्न — ज़िम्मेदार कौन – अतिक्रमणकारी – संबन्धित विभाग – या संरक्षण देने ????
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