सरकारों के बड़े बड़े दावे रोजी रोटी रोजगार की तलाश में परिवार से दूर आज का मज़दूर

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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी |

हल्द्वानी | देश को आजाद हुए 75 साल बीत जाने के बाद भी आज आम आदमी मजदूर दो वक्त की रोजी-रोटी रोजगार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य एक शहर से दूसरे शहर भटक रहा है |
हम आज बात कर रहे हैं उस देश की जिस देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था आजादी के बाद बड़े-बड़े स्लोगन मात्र वोट बैंक की राजनीति बनकर रह गए

गरीबी हटाओ 1971
गरीबी हम हटाएंगे 1989
हम 100 दिन में गरीबी हटाएंगे 2009
पूरी रोटी खाएंगे पार्टी को लाएंगे 2013

सबसे अहम सवाल यह है कि आजादी के 75 सालों के बाद भी आज भी गरीब मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए दरबदर भटकता नजर आ रहा है , वही जब जब देश में चुनाव आते हैं ,राजनीतिक पार्टियों के द्वारा इन्हीं मजदूरों से बड़े-बड़े वादे के जाते हैं

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रोजगार हम देंगे
कारोबार हम देंगे
लेकिन यह केवल चुनावी घोषणाएं बन कर रह जाती हैं सत्ता में काबिज होने के लिए राजनीतिक पार्टियों के द्वारा बड़े-बड़े सभाएं बड़ी बड़ी रैलियां की जाती हैं भीड़ एकत्रित करने के लिए इन्हीं गरीब मजदूरों को लुभावने सपने दिखाकर मंच तक लाया जाता है वहीं मंच पर विराजमान बड़े-बड़े दिग्गजों के द्वारा मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए जाते हैं

हम आप को रोजगार देंगे
हम आपके बच्चों को शिक्षा देंगे
हम आपको बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देंगे
हम आपको सभी मूलभूत सुविधाएं देंगे

परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है चुनाव खत्म होते ही यह सारे वादे और नारे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं ,आज हमारे द्वारा हल्द्वानी के जवाहर नगर में रहने वाले मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूरों से वार्ता की गई | उनके द्वारा बताया गया जिस राज्य से वह आए हैं उस राज्य में नहीं है कारोबार नहीं है रोजगार एक और सरकार बड़े-बड़े दावे करती है वही रोजगार के नाम पर केवल सपने दिखाती है

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मजदूरों ने लिखने नाम नही लिखने की शर्त पर बताया कि हम बिहार के बेतिया जिले से यहां पर रोजगार करने आए हैं बिहार में केवल चुनावों में ही गरीब जनता \ मज़दूरों को राशन बांटा जाता है ,रोजगार की बातें की जाती हैं लेकिन वही राज्य के नेताओं के बड़े-बड़े होटल बड़े-बड़े बंगले कल कारखाने बन जाते हैं ,

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लेकिन गरीब जनता को कुछ नहीं मिलता रोजी-रोटी रोजगार की तलाश में अपने बूढ़े माता-पिता अपने परिवार को छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर रोटी की तलाश में हम यहां तक पहुंचते हैं ,वही उत्तर प्रदेश के एक मजदूर के द्वारा बताया गया कि वह मुरादाबाद के निकट एक गांव के रहने वाले हैं रोजगार न मिलने की स्थिति में उन्होंने भी उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी की ओर अपना रुख किया यहां पर आकर मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं

आज हमारे देश की कड़वी सच्चाई है चुनावों के वक्त के केवल बड़ी बड़ी घोषणा की जाती हैं लेकिन जमीनी हकीकत में आम गरीब जनता को केवल झूठे आश्वासन ही मिलते हैं

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