स्वास्थ सेवाओं के खेल में अपने मालामाल जनता कंगाल ?

स्वास्थ सेवाओं के खेल में अपने मालामाल जनता कंगाल ?
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गर्भवती महिलाओ की जांचे , एक्स रे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में कराई जाती है ?
प्रदेश की निवर्तमान \ वर्तमान सरकारों के द्वारा स्वास्थ सेवाओं को लेकर बंद एयर कंडीशन कमरों में बैठ कर बड़े बड़े दावे किये जाते है

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | उत्तराखण्ड राज्य को अस्तित्व में आये 21 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी प्रदेश की जनता निवर्तमान \ वर्तमान सरकारों की चरमराती स्वास्थ सेवाओं से त्रस्त प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक बेहतर स्वास्थ सेवाओं के नाम पर जनता को लूटने में मस्त ?

बात करते है कुमाँऊ के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की शहर में बेहतर स्वास्थ सेवाओं के नाम पर अनेको प्राइवेट हॉस्पिटल अस्तित्व में आ गये , परन्तु ईलाज के नाम पर आम जनता को नहीं कोई राहत , कोई भी मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल पहुँचता है सर्वप्रथम कांउटर पर – 500 रूपये पंजीकरण शुल्क लिया जाता है , घंटो लाइन में इंतज़ार करने के पश्चात डॉक्टर से मिल अपनी परेशानी ( बीमारी ) से अवगत कराता है

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अब होता है बेहतर ईलाज के नाम पर हज़ारो रुपयों की 4 \ 5 जांचे लिख दी जाती है और सख्त निर्देश दिए जाते है , किस लेब से जांचे करवानी है जैसे ही मरीज लेब पहुँचता है पहला सवाल किस डॉक्टर से ईलाज चल रहा है , यदि कोई गरीब व्यक्ति सरकारी अस्पताल में जाँच करवा लेता है या अन्य किसी लेब की जाँच मान्य की जाती ?
अधिकतर लेब अपनी ही परिवार वालो की ?

जाँच के बाद दवाइयां भी ऐसी लिखी जाती है जो की हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से लेना मरीज की मज़बूरी हो जाती है क्योकि जो दवाईया लिखी जाती है वह बाजार के अन्य मेडिकल स्टोर्स पर आपको नहीं मिलेंगी ?

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सबसे बड़ी विडंबना गरीब व्यक्ति दूर दराज इलाको से इस उम्मीद से प्राइवेट हॉस्पिटलों ईलाज कराने पहुँचता है कि उसको बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिलेंगी , परन्तु अक्सर ऐसे मामले भी देखने में आये की मरीज अपनों की ज़िन्दगी बचाने के लिए अपनी ज़मीन \ मकान बेच कर ईलाज में पैसा लगाता है , वही आखिर में उसको बड़े महानगरों के ट्रामा सेंटरों में रेफर कर दिया जाता है ?

यह भी देखा गया है की लाखो रुपया न होने की स्थिति में परिवार वाले जनप्रतिनिधियों , समाजसेवी संगठनों से मदद मांगने के लिए मज़बूर हो जाता है , बात की जाए सरकार से मदद की जब तक आर्थिक सहायता की फाइल चलती है , तब तक मरीज के साथ अनहोनी हो जाती है

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आज भी हल्द्वानी के सरकारी अस्पतालों में करोडो की आधुनिक मशीने या तो ख़राब है या टैक्निशन नहीं , सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला अस्पताल में जो गर्भवती महिलाये अपना ईलाज करवाने पहुँचती है , महिलाओ की जांचे , एक्स रे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में कराई जाती है ?

एक ओर प्रदेश की निवर्तमान \ वर्तमान सरकारों के द्वारा स्वास्थ सेवाओं को लेकर एयर कंडीशन बंद कमरों में बैठ कर बड़े बड़े दावे किये जाते है , लेकिन धरातल पर शून्य प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं नज़र आती है , वही प्रदेश की निवर्तमान \ वर्तमान सरकारों की ढुलमुल अव्यवस्थाओ के चलते आज प्रदेश की जनता प्राइवेट हॉस्पिटलों के मकडज़ाल में फस कर ईलाज के नाम पर लूट रही है आखिर ?

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