आशा वर्कर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल 16वें दिन में पहुँची

आशा वर्कर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल 16वें दिन में पहुँची
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• राज्य सरकार आशाओं के बीच भ्रम फैलाकर मासिक मानदेय से ध्यान बाँटने व आंदोलन तोड़ने की कोशिश बंद करे
• स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से आशाओं को धमकाना नहीं चलेगा
• आशा वर्कर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल 16वें दिन में पहुँची

पिछले 16 दिनों से चल रही आशा वर्कर्स  की हड़ताल राज्य में आशाओं को मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा
देने समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही है। हड़ताल के 16 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार समाधान के स्थान पर आशाओं के आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

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हड़ताल के सोलहवें दिन ऐक्टू से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा कहा गया कि, “सरकार आशाओं को भ्रमित करने वाले काम करना बंद कर मासिक मानदेय के बारे में स्पष्ट फैसला ले। साथ ही आंदोलन तोड़ने की कोशिश बंद करे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के माध्यम से आशाओं को धमकाना छोड़कर राज्य की जनता के व्यापक हित में आंदोलनरत आशाओं की समस्याओं का समाधान करे। “

यूनियन प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, “पहले केंद्र और उत्तराखण्ड की राज्य सरकार द्वारा लंबे समय तक आशाओं का सेवा के नाम पर शोषण किया गया और जब आशाएँ जागृत हो गई तो उनको प्रोत्साहन राशि के नाम पर छलने की कोशिशें चल रही हैं।  राज्य की आशा वर्कर अभूतपूर्व एकता दिखाते हुए आशाओं की ऐतिहासिक हड़ताल कर रही हैं और आशाओं की इसी एकता और आंदोलन ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। जिसके चलते आशाओं के एकताबद्ध आंदोलन से घबराकर राज्य सरकार एक ओर आशाओं पर स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से दबाव बना रही है और दूसरी ओर यूनियनों के संयुक्त आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है। जो कि शर्मनाक है।”

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महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आशाएँ और कुछ नहीं केवल अपनी मेहनत का दाम चाहती हैं जो कि उनका वाजिब और संविधान प्रदत्त हक है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी सभी कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन दिए जाने को जरूरी बताया है तब सरकार आशाओं को उनके श्रम का उचित मूल्य क्यों नहीं देना चाहती? यह महिला श्रम का शोषण नहीं तो और क्या है?”

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सोलहवें दिन के धरने में आज प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल, महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय, रिंकी जोशी, मनीषा आर्य, भगवती बिष्ट, रेखा पलड़िया, अनुराधा, शांति शर्मा, दमयंती, रेनू घुगत्याल, कमरुन्निशा, गोविंदी, ममता, कमला, राधा, सुनीता, गीता, बसंती, कमलेश, हेमा, उमा, भगवती, हंसी, लता, अनीता, भावना, सीमा आर्य, विमला, खष्टी, मीना, माया, खीमा, शकुंतला, प्रेमा, नसीमा, पुष्पा, प्रियंका, आनंदी आदि समेत बड़ी संख्या में आशाएँ शामिल थीं।

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