50 करोड़ डकारे, न पिच बनी, न हीं स्टेडियम हाई कोर्ट उत्तराखंड ने क्रिकेट एसोसिएशन सचिव को किया तलब

50 करोड़ डकारे, न पिच बनी, न हीं स्टेडियम हाई कोर्ट उत्तराखंड ने क्रिकेट एसोसिएशन सचिव को किया तलब
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आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है
सीएयू के पदाधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे है उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से प्रदेश के खिलाड़ियों को इंसाफ मिलेगा।
पिछले चार साल में पूरे प्रदेश में एक भी पिच नहीं बनी और न ही स्टेडियम तो सीयूए ने बीसीसीआई से मिले लगभग 50 करोड़ रुपये कहां खर्च किये?

” HS NEWS ” ATUL AGARWAL ,HALDWANI | > विश्वनीय सूत्रों के हवाले से एक बडा खुलासा हुआ उजागर सीएयू को बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद खिलाड़ियों के चयन में भी गोलमोल सामने आया जानकारी के मुताबिक बहुत सी वित्तीय और अन्य अनियमिताएं हुई हैं। भुगतान के साथ ही खिलाड़ियों के चयन में भी गोलमोल है। साथ ही जिनको क्रिकेट के नियम एवम बेट पकड़ना तक नहीं आता ऐसे युवाओ को एक मोटी रकम लेकर सीएयू के पदाधिकारियों पर पैसे लेकर टीम में स्थान देने के आरोप और केस हैं।

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हाईकोर्ट ने कहा कि सीएयू में नेताओं और बिजनेसमैन का दखल है। हाइकोर्ट ने राज्य के खेल सचिव ने सीएयू की अनिमितिताओं को लेकर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 17 अगस्त होगी। हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने दाखिल की है।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने सीएयू को लेकर दायर जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है। डबल बेंच ने इस संबंध में राज्य के खेल सचिव से जवाब मांगा है।

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उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड( सीयू) मैं चलने वित्तीय अनियमितताओं पर सख्त लहजे में कहा कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है आगामी 17 अगस्त को खेल सचिव को समस्त तथ्यों के साथ अदालत में पेश होने को कहा है। सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि मान्यता प्राप्त होने के बाद अब तक क्रिकेट एसोसिएशन को ₹50करोड़ मिल चुके हैं लेकिन प्रदेश में कहीं भी क्रिकेट के लिए काम होता है नहीं दिख रहा है इतनी रकम मिलने के बाद कहीं पर कोई पिच का निर्माण नहीं हुआ है और ना ही कोई स्टेडियम बना है

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एडवोकेट नलिन के अनुसार जनहित याचिका में प्रार्थना की गयी है कि देश के किन्हीं तीन पूर्व जजों की समिति से इस पूरे मामले की जांच करवाई जाए। कांफिलिक्ट आफ इंटरेस्ट वाले पदाधिकारियों को हटाया जाए और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। यह भी प्रार्थना की गयी है कि सोसायटी रजिस्ट्रार की इस पूरे मामले में संदिग्ध भूमिका रही है। ऐसे में रजिस्ट्रार के ऊपर प्रशासक बिठाया जाए।

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