पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन 1960 बिल लाने के लिए प्रधान मंत्री और राज्य के सांसदों से अपील आग्रह किया

पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन 1960 बिल लाने के लिए प्रधान मंत्री और राज्य के सांसदों से अपील आग्रह किया
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” HS NEWS ” ATUL AGARWAL -HALDWANI| पशु प्रेमी एनिमल एक्टिविस्ट लगातार पशुओं पे हो रही क्रूरता पे आवाज़ उठा ते हुए देर रात्रि अजय भट्ट केंद्रीय रक्षा मंत्री को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के लिए पत्र सौंपा और पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन 1960 बिल लाने के लिए आग्रह किया !

एनिमल एक्टिविस्ट प्रथम बिष्ट ,दीपक जोशी,अनुराग ने बताया की पशु क्रूरता अधिनियम में 1960 से कोई संशोधन नहीं हुआ हैं मात्र किसी जीव की क्रूरता पे पेनल्टी पचास रुपये हैं। जिस से पशु क्रूरता करने वाले लोगो में भय नहीं हैं और आय दिन कही ना कही पशुओं पे क्रूरता होती रहती हैं।

जिसके संशोधन के लिए लाखों करोड़ों पशु प्रेमी लगातार आवाज़ उठा रहे हैं उसी आवाज़ के बीच उत्तराखंड देव भूमि में एनिमल एक्टिविस्ट प्रथम बिष्ट दीपक जोशी अनुराग ने आज पशु क्रूरता संशोधन बिल को संसद भवन में पारित करने के लिए उत्तराखंड के सभी सांसदों से माँग की हैं और साथ ही पशु जीवन का मूल्य महत्वपूर्ण हैं बताया ।

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एक और हमारे देश में हर पशु बेज़ुबानो को देवताओं से भी संबंध हैं दूसरी और क्रूर इंसान जीवों पे लगातार क्रूरता कर रहा हैं पशु क्रूरता अधिनियम 1960 में संशोधन के लिए राज्य और पूरे देश में अभियान चल रहा हैं वर्ष 2022 में ड्राफ्ट हुए इस बिल को इस वर्ष पार्लियामेंट में लाने की माँग की जा रही हैं जिसके लिए 150 सांसदों ने भी माँग करी हैं जिस से पशुओं को भी अधिकार मिले और अधिनियम में संशोधन आ सके ।

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प्रथम बिष्ट और दीपक जोशी ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि पुराने और कमजोर पीसीए अधिनियम, 1960 में संशोधन किया जाए एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि दस साल में इंसानों द्वारा जानवरों पर अत्याचार के 4.5 लाख मामले सामने आए। मौजूदा कानून अपराधियों को पर्याप्त रूप से दंडित करने और दूसरों को रोकने में विफल रहा है। नागरिक समाज को सरकार से पीसीए अधिनियम को मजबूत मसौदा पशु कल्याण अधिनियम 2011 के साथ बदलने की अपील करने की जरूरत है।”

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ये दिए गए हैं ड्राफ्ट

सुझाव

{गो वंश और भैंस आदि की हत्या पे कठोर दंड और । गैर जमानती की श्रेणी में रखा जाए।

{ ट्रेडिंग में सेल्स टैक्स लिया जाए।

{ पशु के आकार आकृति के आधार ट्रांसपोर्टेशन रूल बनाया जाए।

{ पशुओं को गुड्स की श्रेणी से बाहर किया जाए।

{ निराश्रित जीव और किसी भी पशुओं पक्षियों के प्रति अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती की श्रेणी में रखा जाए।

{ लावारिस पशुओं को भी आश्रय मिलना चाहिए, उसे भी शामिल किया जाए।

{ अधिनियम की उल्लंघना पर सजा 50 रुपए जुर्माना जमानती अपराध है, इसे बदला जाए।

वार्ता में जनपदीय पशु क्रूरता निवारण समिति एवं १००८ श्री श्री ज्योतिर्मठ गौ सेवा नियाश के सदस्य मौजूद रहे ।