उत्तराखंड में भाजपा सरकार को नहीं आमजन से कोई सरोकार: पवन खेड़ा

उत्तराखंड में भाजपा सरकार को नहीं आमजन से कोई सरोकार: पवन खेड़ा
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  • बोले भाजपा का यह कैसा शासन जिसमें युवा बेरोजगार हो गई परेशान, महंगाई हो गई बेलगाम
    -साढ़े 4 साल के कुशासन में दिए 3-3 मुख्यमंत्री
    -अब लोकतंत्र में बहुमत के अपमान का जनता देगी जवाब हल्द्वानी।

हालात-ए-शहर ( संवाददाता अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को नैनीताल रोड स्थित सौरव होटल में पत्रकार वार्ता करते हुए भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य का अधिकांश हिस्सा पर्वतीय होने के कारण यहां की भौगोलिक परिस्थिति अत्यधिक जटिल और हिंद भिन्न है। जिस कारण यहां अधिकांश लोगों का जीवन संघर्ष और परेशानियों भरा रहता है। उत्तराखंड की जनता की ओर से राज्य के निर्माण में किए गए कठिन संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की डबल इंजन सरकार द्वारा विगत साढ़े 4 साल के कार्यकाल के दौरान 3-3 मुख्यमंत्री बनाकर उत्तराखंड वासियों के द्वारा दिए गए प्रचंड बहुमत का अपमान यहां की जनता किसी भी हाल में नहीं सहन करेगी। युवा प्रदेश उत्तराखंड के समक्ष महंगाई और बेरोजगारी जैसी दो मुख्य समस्याएं जो विकराल रूप धारण करती जा रही हैं, जिससे यहां की गरीब मध्यमवर्गीय जनता त्रस्त है। पिछले कुछ महीनों में तेल और दाल समेत खाने पीने के सामान के भाव में काफी तेजी आई है। जून 2020 में सरसों तेल के दाम 90-100 प्रति लीटर एवं रिफाइंड 85 से 100 के बीच थे। जबकि इस समय बाजार में सरसों का तेल 160 से 180 प्रति लीटर मिल रहा है। डायन का रूप ले चुकी महंगाई गरीब जनता को जीने नहीं दे रही है।

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उन्होंने कहा कि पिछले साढे 4 वर्षों में वर्तमान भाजपा सरकार ने कोई भी नया रोजगार राज्य के युवा शिक्षित बेरोजगारों को नहीं दिया। जबकि 5 साल में बेरोजगारी की दर 6 गुना बढ़ गई है। एनएसओ के सर्वे से खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 14.2% पहुंच चुकी है। इस रिपोर्ट में वह तीन लाख से अधिक प्रवासी शामिल नहीं है जो लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड वापस लौटे हैं। ऐसे प्रवासी बेरोजगारों को नरेगा के अंतर्गत भी स्वरोजगार नहीं दिया गया है। हैरान करने वाली बात यह कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले 10 राज्यों में उत्तराखंड 22.3 प्रतिशत गिरफ्तारी के साथ शीर्ष स्थान पर है।

उन्होंने कहा कि दूसरे पर्वतीय प्रदेशों के मुकाबले उत्तराखंड में पर्यटन की रफ्तार बेहद धीमी है। यहां किसानों को फसल बीमा का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। उत्तराखंड में मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन की रोजगार की गारंटी भी पूरी नहीं दी जा रही है। यहां सिर्फ 32 दिन का औसतन रोजगार मिल रहा है। उत्तराखंड में 11 लाख 26 हजार से अधिक लोग मनरेगा कार्ड धारक हैं। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में केवल 22000 लोगों को ही पूरे 100 दिन रोजगार मिल पाया है। जबकि इसी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मनरेगा के कार्य दिवस 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करने की घोषणा कर चुके थे।
उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग में 3917 लोगों ने स्वरोजगार करने को कर्ज के लिए आवेदन किया, जबकि अभी तक बैंकों से मात्र 588 लोगों को ही मंजूरी मिली है। वही 2016 से प्रदेश में ना ही फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती हुई और ना ही पीसीएस की परीक्षाएं कराई गई। प्रदेश में 3-4 हजार रजिस्टर्ड डेंटिस्ट हैं जिन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। प्रदेश में 500 से अधिक चिकित्सकों के पद खाली हैं। 600 से अधिक एएनएम, 250 से अधिक फार्मेसिस्ट, 2600 से अधिक नर्सिंग, 200 से ज्यादा लैब टेक्नीशियन के पद खाली हैं

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प्राथमिक शिक्षा में 4000, कृषि विभाग में 183 सहायक कृषि अधिकारी के पद खाली हैं।
पवन खेड़ा जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में लंबे समय से संविदा के आधार पर सेवारत कर्मियों को आउट सोर्स कंपनी के हवाले करने का ताजा उदाहरण श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में सामने आया है। यहां पर लगभग 10 वर्ष की संविदा सेवा के उपरांत कार्यरत कर्मचारियों को आउट सोर्स कर्मी घोषित करने का आदेश जारी किया गया है। जो कि नेशनल हेल्थ मिशन एनएचएम की गाइडलाइन के विरुद्ध है। प्रदेश की 154 स्वयं सहायता समूहों की आजीविका छीनकर एक बाहरी कंपनी को टेक होम राशन योजना के अंतर्गत ई टेंडरिंग अभी जा रही है। सरकार के इस कदम से प्रदेश की 2 लाख महिलाएं जो इन 154 स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं उनका कारोबार थप हो थको गया है।

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पवन खेड़ा जी ने कहा कि भारत सरकार को सभी प्रक्रिया के उपरांत पेट्रोल की लागत प्रति लीटर 32.72 तथा डीजल की लागत 33.46 प्रति लीटर पड़ रही है। इसके बावजूद आज पेट्रोल के दाम ₹100 प्रति लीटर से अधिक तथा डीजल के दाम ₹90 प्रति लीटर से अधिक क्यों दिए जा रहे हैं इसका जवाब भाजपा के पास नहीं है।
दालों के दाम आसमान छू रहे हैं।
राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में गैस सिलेंडर के दाम 900 से अधिक पहुंच चुके हैं। इसके बाद भी रसोई गैस के दाम घटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
पवन खेड़ा ने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है। प्रदेश का कुल कर्ज 31 मार्च 2022 तक लगभग 68 हजार करोड रुपए पहुंचने का अनुमान है। फिर भी भाजपा की यह डबल इंजन सरकार अच्छे दिनों की दुहाई देने से बाज नहीं आ रही है। प्रदेश की जनता अब भाजपा की जुमलेबाजी को अच्छी तरह समझ चुकी है। आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता इसका जवाब भाजपा को देगी।

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