भारत में फेफड़ों के कैंसर की घटनाओं में हर साल वृद्धि : डॉ. जिंदल

भारत में फेफड़ों के कैंसर की घटनाओं में हर साल वृद्धि : डॉ. जिंदल
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मैक्स हॉस्पिटल ने हल्द्वानी में थोरैसिक सर्जरी ओपीडी सेवा शुरू की

कोविड के दौरान पुरुषों के फेफड़े हुए और संवेदनशील

हालात-ए-शहर ( अतुल अग्रवाल ) हल्द्वानी | उत्तर भारत में अच्छी स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने में दशकों से उत्कृष्ट संस्थान मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली ने आज हल्द्वानी में अपनी थोरैसिस सर्जरी ओपीडी सेवा का शुभारंभ कर वहां के लोगों तक अपनी सेवा का विस्तार किया है।

यह ओपीडी सेवा हल्द्वानी के नीलकंठ हॉस्पिटल में हर महीने के चौथे गुरुवार को 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक उपलब्ध रहेगी जहां टर्शियरी देखभाल और थोरैसिक सर्जरी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। टर्शियरी केयर संबंधी परामर्श देने के लिए मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. प्रमोज जिंदल यहीं उपलब्ध रहेंगे क्योंकि महामारी और लॉकडाउन के कारण ज्यादातर मरीज दूरदराज जाकर विशेषज्ञों की राय लेना टाल देते हैं। यह ओपीडी सेवा शुरू होने से स्थानीय निवासियों को प्राथमिक परामर्श लेने के लिए कहीं और यात्रा कर जाने की जरूरत नहीं होगी और हल्द्वानी में ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता होने से उन्हें बहुत लाभ होगा।थोरैसिक सर्जरी में फेफड़े, छाती की दीवार, मीडियास्टिनम और अन्नप्रणाली की सर्जरी शामिल है, यानी नॉनकार्डिक छाती की सर्जरी। थोरैसिक सर्जरी के तहत इलाज किए गए रोगों के स्पेक्ट्रम फेफड़ों में तपेदिक संक्रमण से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं हैं जैसे कवक गेंद के साथ तपेदिक गुहा, छाती में मवाद, सांस की नली का संकरापन, फेफड़ों से हवा का रिसाव, चारों ओर तरल पदार्थ जमा होना, कैंसर जैसे अन्य गैर-तपेदिक रोग सांस की नली, फेफड़े, भोजन पाइप और छाती की दीवार, हर्निया जिसमें डायाफ्राम, डायाफ्राम का कमजोर होना शामिल है।

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मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में थोरैसिस एंड रोबोटिक थोरैसिस सर्जरी के निदेशक डॉ. प्रमोज जिंदल ने कहा, ’पिछले कुछ वर्षों के दौरान तकनीकी में तेजी से बदलाव आए हैं और मेडिस्टिाइनल एवं पल्मोनरी जख्मों के इलाज के लिए थोरैसिस सर्जरी में रोबोटिक तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जाने लगी है। सीने और फेफड़े में किसी तरह की परेशानी से पीड़ित मरीजों के लिए इस तरह की तरक्की से बेहतर परिणाम मिलने लगे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान आखिरी चरण के पल्मोनरी रोग के ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है जिन्हें फेफड़ा ट्रांसप्लांट करने की जरूरत थी। ऐसे मरीजों की जीवनदर बहुत निराशाजनक है और उनकी लंबी आयु के लिए फेफड़ा ट्रांसप्लांट कराना ही ’गोल्ड स्टैंडर्ड’ है। पहने होने वाली ओपन सर्जरी के मुकाबले एडवांस्ड थोरैसिस रोबोटिक सर्जरी ने कई जटिल मामलों में सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार की राह खोली है।’लंग कैंसर भारत में सबसे आम कैंसर में से एक है और ग्लोबल किलर के रूप में उभरा है। ग्लोबाकैन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार – भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर में फेफड़े का कैंसर कुल मिलाकर चैथे स्थान पर है; पुरुषों में, यह दूसरे स्थान पर था जबकि महिलाओं में यह कैंसर की घटनाओं के मामले में छठे स्थान पर था। भारत में फेफड़ों के कैंसर की घटनाओं में हर साल वृद्धि हो रही है।

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एक आम धारणा है कि चैथे चरण में फेफड़े का कैंसर पता चलने के बाद मरीज कुछ ही महीने जी पाता है लेकिन इलाज की तकनीकों में हुई तरक्की से यह धारणा बदलने लगी है। समय के साथ इस बीमारी को बेहतर ढंग से समझा जाने लगा है और आधुनिक जांच के तौरकृतरीकों से शुरुआती चरण में ही लंग कैंसर के लक्षणों का पता चल जाता है। लिहाजा इस बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके, जांच करा लेना चाहिए। डॉ. प्रमोज जिंदल ने कहा ’आज के युग में अच्छी सेहत बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। खानपान, प्रदूषण, लाइफस्टाइल, बैक्टीरिया, वायरस जैसी हर चीज अच्छी सेहत की दुश्मन बनी हुई है। कोविड के दौरान अच्छी सेहत का ख्याल रखना कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है। फेफड़े हमारे सबसे संवेदनशील अंग हैं और बहुत जल्दी संक्रमित हो जाते हैं। लॉकडाउन के कारण कहीं आनेकृजाने पर पाबंदी, सड़कों पर प्रतिबंध आदि के कारण बेहतर स्वास्थ्य सेवा हासिल करना अधिक चुनौतीपूर्ण रहा। लिहाजा मरीजों तक पहुंच बनाने और उन्हें टर्शियरी स्तर की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए मैक्स हॉस्पिटल की टीम हल्द्वानी में नियमित रूप से आते रहेंगे और सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे मरीजों की मदद करेंगे।’

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