ज्योति तो बुझा दोगे लेकिन करोड़ों भारतीयों के दिल में श्रीमती इंदिरा गांधी व भारतीय सेना के प्रति आदर, सम्मान,समपर्ण की लौ को कैसे बुझाओगे-ज़रिता

ज्योति तो बुझा दोगे लेकिन करोड़ों भारतीयों के दिल में श्रीमती इंदिरा गांधी व भारतीय सेना के प्रति आदर, सम्मान,समपर्ण की लौ को कैसे बुझाओगे-ज़रिता
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संवाददाता अतुल अग्रवाल ” हालात-ए-शहर ” हल्द्वानी | आज कांग्रेस भवन स्वराज आश्रम हल्द्वानी में मिडिया से रूबरू होते हुए ज़रिता लैत फलांग प्रवक्ता, सचिव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कहा कि | अमर जवान ज्योति पिछले 50 सालों से अनवरत जल रही है. ये हमारे शौर्य, साहस, बलिदान एवं स्वाभिमान का प्रतीक है, लेकिन आज उसे बुझा दिया जाएगा. इंडिया गेट पर 50 वर्षों से स्थापित अमर ज्योति का नया पता अब वॉर मेमोरियल होगा. जब किसी राजा के महल के निर्माण के लिए शहीदों के बलिदान और शौर्य के प्रतीकात्मक स्थान को बदल दिया जाये और अनवरत जलने वाली लौ को बुझा दी जाए, तो ये न सिर्फ उस राजा के मनमानी की कहानी कहती है बल्कि शहीदों के प्रति उसके दिल में कितना सम्मान है, ये भी बखूबी बताती है. अब आप वीर जवानों के शौर्य, बलिदान व देश के धरोहरों को खत्म करने की क्रोनोलॉजी समझिए. पहले जालियावाला बाग में लेजर शो करवा कर वहां सैकड़ों शहीदों का अपमान किया गया, फिर गांधी जी का देश के प्रति त्याग व सपर्मण को कम करके दिखाने के लिए अहमदाबाद के गांधी आश्रम जैसी पुरानी धरोहर को भी बदलने का प्रयास किया जा रहा है. क्या इस अमर जवान ज्योति को विस्थापित करने का उद्देश्य सिर्फ सेंट्रल विस्टा ( मोदी महल ) का निर्माण करना है ?

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जिस प्रकार किसान बिल से पहले भाजपा सरकार ने किसानों से सलाह लेना जरूरी नहीं समझा, ठीक उसी प्रकार इतने बड़े निर्णय से पहले एक बार भी शहीदों के परिजनों से विचार करना जरूरी नहीं समझा. भारतीय सेना की शौर्य, बलिदान एवं अदम्य साहस का अपमान क्यों ?

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1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के अदम्य साहस, शौर्य, बलिदान के प्रतीक स्वरूप इस अमर जवान ज्योति को प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने वीर शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में स्थापित किया था.

अमर जवान ज्योति की ज्योत हिंदुस्तान में करोड़ों देशभक्तों के लिए मंदिर की ज्योति की तरह है. ये बलिदानियों का मंदिर है, जिस तरह मंदिर की ज्योत को विस्थापित नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार अमर जवान ज्योति का विस्थापन भी संभव नहीं है.

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क्या हिंदुस्तान की सरकार हमारे देश के शौर्य, बलिदान, त्याग, तपस्या, वीरता के लिए दो जगहों पर ज्योति नहीं जलवा सकती ?
मौजूदा भाजपा सरकार ने 16 दिसंबर 2021 को विजय दिवस के सरकारी कार्यक्रम में 1971 के भारत-पाक युद्ध के ऐतिहासिक विजय के वक्त भारत का नेतृत्व करने वाली श्रीमती इंदिरा गांधी का नाम भी हटा दिया.  

आप ज्योति तो बुझा दोगे लेकिन करोड़ों भारतीयों के दिल में श्रीमती इंदिरा गांधी व भारतीय सेना के प्रति आदर, सम्मान, समपर्ण की लौ को कैसे बुझाओगे ?

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