UKD में महाभारत पर्यवेक्षक ने जिला अध्यक्ष निर्वाचन को ठहराया असंवैधानिक >VIDEO

UKD में महाभारत पर्यवेक्षक ने जिला अध्यक्ष निर्वाचन को ठहराया असंवैधानिक >VIDEO
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पर्यवेक्षक की सहमति के बगैर ही अध्यक्ष को सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित उपाध्यक्ष और एक महामंत्री की भी नियुक्ति की गई.

संवाददाता अतुल अग्रवाल ” HS NEWS ” हल्द्वानी | राज्य बनने के 21 वर्षो के पश्चात भी राज्य में अस्तित्वविहीन छेत्रीय दल UKD में छिड़ी महाभारत यदि बात की जाये राज्य बनने के बाद 5 विधानसभा एवम लोकसभा – पंचायती – नगर निकाय चुनावो में दूर दूर तक नज़र न आने वाली UKD प्रत्येक चुनावो से पूर्व प्रदेश में सरकार बनाने के बड़े बड़े दावे करती है | सबसे अहम सवाल छेत्रीय दल UKD के पदाधिकारियो में ही ए दिन ज़ुबानी जंग की महाभारत उजागर होती हो तब राज्य का छेत्रीय दल UKD भविष्य में प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब होगा

अफवाह फैलाकर पार्टी को कमज़ोर करने में लगे हैं कुछ लोग : भुवन जोशी।

कल ही समिति के सदस्य भुवन जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मिडिया से रूबरू होते हुए कहा कि कुछ लोगों ने यूकेडी में अपनी पकड़ बनाने दल को आगे बढ़ने से रोकाने के लिए निरन्तर नज़र आ रहे है वहीं पर्यवेक्षक किशन सिंह मेहता की ओर से यह कहा गया है कि वर्तमान जिला अध्यक्ष का कार्यकाल 1 माह के लिए बढ़ाया गया है इसके बाद अगले सर्वसम्मति से सम्मेलन बुलाकर जिलाध्यक्ष निर्वाचन की कार्यवाही पूर्ण होनी थी लेकिन कुछ लोगों ने जबरदस्ती सम्मेलन बुलाकर पार्टी के नियमों और सिद्धांतों के खिलाफ निर्वाचन किया है जो कि पूरी तरह से असंवैधानिक है अभी भी वर्तमान जिला अध्यक्ष जिला अध्यक्ष माने जाएंगे.

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उत्तराखंड क्रांति दल जिसे इस राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष का प्रतीक माना जाता है वह इस समय अपने ही अस्तित्व की लड़ाई के लिए लड़ रहा है. उसकी लड़ाई ऐसी की उसके अपने ही सिपाही आपस में मोहिनी मंत्र से सम्मोहित होकर एक दूसरे पर ही तीर चला कर अपने अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं.

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आज कहावत चरित्रार्थ होती नज़र आ रही है ( जूट कपास तो नहीं लेकिन जुलाहो में लठम लट्ठा ) मची हुई है. विगत दिवस हल्द्वानी के एक बैंकट हॉल में पर्यवेक्षक किशन सिंह मेहता की अनुपस्थिति में जिला सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें मोहन कांडपाल को अध्यक्ष नियुक्त किया गया. अध्यक्ष बनने के 12 घंटे के अंदर ही पर्यवेक्षक ने इस नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए सूचना मीडिया में दे दी. इस सम्मेलन में अहम भूमिका निभाने वाले सर्वोच्च नीति निर्धारण समिति के सदस्य एवं पूर्व जिला अध्यक्ष रह चुके भुवन जोशी ने मोर्चा संभाल लिया उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि यह निर्वाचन पूरी तरह से वैध है और उन्होंने पर्यवेक्षक को सूचित किया लेकिन उनके नहीं आने पर सभी कार्यकर्ताओं की राय से खुले मंच से यह निर्वाचन कराया तथा इसमें संयोजक मंडल के 5 में से 3 सदस्यों की सहमति थी.

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कुछ दिन पूर्व पर्यवेक्षक की उपस्थिति में वर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट को 1 माह के लिए एक्सटेंशन देते हुए ब्लॉक एवं नगर पंचायतो से जिले के लिए डेलिगेशन एवं केंद्रीय चुनाव के लिए डेलीगेट तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी साथ ही उन्हें एक माह के अंदर कार्यकारिणी समेत जिलों और ब्लाकों की कार्यकारिणी का गठन करने का निर्देश दिया. उस वक्त नया चुनाव भी कराया जा सकता है ऐसा निर्णय लिया गया.

लेकिन इसी बीच कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा पर्यवेक्षक की सहमति के बगैर ही बुला लिया गया और उसमें अध्यक्ष को सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित किया गया इसके साथ ही एक उपाध्यक्ष और एक महामंत्री की भी नियुक्ति की गई.

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सर्वोच्च नीति निर्धारण समिति के सदस्य भुवन जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि कुछ लोगों ने यूकेडी में अपनी पकड़ बनाने के लिए ऐसा किया है दल को आगे बढ़ने से रोका जा सके. वहीं पर्यवेक्षक किशन सिंह मेहता की ओर से यह कहा गया है कि वर्तमान जिला अध्यक्ष का कार्यकाल 1 माह के लिए बढ़ाया गया है इसके बाद अगले सर्वसम्मति से सम्मेलन बुलाकर जिलाध्यक्ष निर्वाचन की कार्यवाही पूर्ण होनी थी लेकिन कुछ लोगों ने जबरदस्ती सम्मेलन बुलाकर पार्टी के नियमों और सिद्धांतों के खिलाफ निर्वाचन किया है जो कि पूरी तरह से असंवैधानिक है अभी भी वर्तमान जिला अध्यक्ष जिला अध्यक्ष माने जाएंगे.

जिस तरह से यह कार्यवाही कुछ लोगों द्वारा की गई है जिससे यूकेड़ी के भविष्य के लिए तैयार किये जा रहे प्लेटफार्म को धक्का लग सकता है.

हालांकि वर्तमान जिला अध्यक्ष स् यह जिम्मेदारी किसी और को देने की पैरवी पिछले दिनों से कर रहे थे. उसकी ही तैयारी के तहत पर्यवेक्षक ने 1 माह का एक्सटेंशन उन्हें दिया था और वार्षिक अधिवेशन के बाद नए अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद ही जिलों में नए जिलाध्यक्ष की घोषणा जिला सम्मेलन द्वारा की जाती.