भू माफियाओं द्वारा रेलवे की भूमि को सौ \ पाँच सौ रुपये के स्टाम्प में बेचे जाने के बारे में क्या कहना है याचिकाकर्ता का देखे VIDEO

भू माफियाओं द्वारा रेलवे की भूमि को सौ \ पाँच सौ रुपये के स्टाम्प में बेचे जाने के बारे में क्या कहना है याचिकाकर्ता का देखे VIDEO
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रेलवे,वन विभाग व राजस्व विभाग की भूमि को सौ और पांच सौ रुपये के स्टाम्प में बेचने पर सुनवाई
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उनको जानमाल का खतरा हो सकता है लिहाजा उन्हें सुरक्षा दिलाई जाय।

मामले की अगली सुनवाई हेतु खण्डपीठ ने 22 दिसम्बर की तिथि नियत की है।

जनता जनार्दन की आवाज* संवाददाता अतुल अग्रवाल – हल्द्वानी \ नैनीताल । हल्द्वानी पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हल्द्वानी के गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गोजाजाली स्थित वन विभाग व राजस्व की भूमि को भू माफियाओं के द्वारा सौ और पाँच सौ के स्टाम्प पर बेच दिया गया है।

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जिन लोगो को यह भूमि बेची गयी वे लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं है। ये लोग रोजगार के लिए यहाँ आये थे। कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी तक बन गए । जब इसकी शिकायत प्रशासन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी तक भू माफियाओं द्वारा दी गयी। वोट बैंक के लालच में इनके लिए बिजली , पानी ,स्कूल व अस्पताल के लिए करोड़ो रूपये खर्च किया जा रहा है। जिसका भार स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है। जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा सरकारी धन का दुरपयोग किया जा रहा है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जाँच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाय। इनके सभी दस्तावेजों की जाँच की जाए।

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विश्वनीय सूत्रों से जानकारी के मुताबिक भू माफियाओं द्वारा रेलवे,वन विभाग व राजस्व विभाग की भूमि को सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प में बेचे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार , वन विभाग व रेलवे को दस दिन के भीतर मामले की जाँच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई हेतु खण्डपीठ ने 22 दिसम्बर की तिथि नियत की है।

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इस सम्बन्ध में भूमि बेचे जाने के साक्ष्य पेश करने को कहा था जिसे आज उनके द्वारा पेश किया गया। साथ मे याचिकाकर्ता ने कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उनको जानमाल का खतरा हो सकता है लिहाजा उन्हें सुरक्षा दिलाई जाय। जिस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर सम्बंधित एसएचओ को निर्देश दिए हैं कि उन्हें किसी तरह का खतरा न हो। क्योंकि वे यह कार्य जनहित के लिए कर रहे हैं।